भारत को मिलेंगे 6 अपाचे हेलीकॉप्टर, US से 6340 करोड़ रुपये में हुआ सौदा

अमेरिकी सरकार ने भारत को छह अपाचे जंगी हेलीकॉप्टर बेचने के सौदे को मंजूरी दे दी है। ये सौदा 6340 करोड़ रुपये (930 मिलियन डॉलर) में किया गया है। इस समझौते को अमेरिकी कांग्रेस के पास भेज दिया गया है। बताया जा रहा है कि अगर इस समझौते पर कोई भी सांसद सवाल नहीं उठाता है तो इसे मंजूरी के लिए आगे भेज दिया जाएगा।
बोइंग और भारतीय साझेदार टाटा ने भारत में अपाचे हेलीकॉप्टर की बॉडी बनानी शुरू कर दी है, लेकिन मंगलवार को जिस सौदे को मंजूरी दी गई है उसके तहत भारत को पूरी तरह तैयार हेलीकॉप्टर बेचा जाएगा। बता दें इन हेलीकॉप्टर्स को अमेरिकी कंपनी बोइंग बनाती है और इन्हें दुनिया के सबसे बेहतरीन अटैक हेलीकॉप्टर माना जाता है।
हेलीकॉप्टर के अलावा, समझौते में नाइट विजन सेंसर, जीपीएस मार्गदर्शन, एंटी-कवच और स्टिंगर एयर-टू-एयर मिसाइल शामिल हैं। अमेरिकी रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने एक बयान में कहा, “AH-64E हर तरह के खतरों का सामना करने और अपनी सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण करने के लिए भारत की रक्षात्मक क्षमता में वृद्धि प्रदान करेगा।”
अपाचे को यूएस आर्मी के एडवांस्‍ड अटैक हेलीकॉप्‍टर प्रोग्राम के लिए डेवलप किया गया था। इसने पहली उड़ान 30 सितंबर 1975 को भरी थी। अप्रैल 1986 में अपाचे को यूएस आर्मी में शामिल किया गया था। हालांकि, तब ये इतने मॉर्डन नहीं थे, जितने आज हैं। फिलहाल, अपाचे को दुनिया का सबसे खतरनाक अटैक हेलिकॉप्टर माना जाता है। आज ये हेलीकॉप्टर यूएस आर्मी के अलावा इजरायल, मिस्र और नीदरलैंड की आर्मी भी इस्तेमाल करती है। कांग्रेस को भेजी गयी अपनी अधिसूचना में पेंटागन ने कहा, ”इससे अंदरूनी एवं क्षेत्रीय खतरों से मुकाबले की भारत की क्षमता को मजबूती मिलेगी। पेंटागन ने कहा, ”एएच -64 ई के सहयोग से जमीनी बख्तरबंद खतरों से मुकाबले भारत की रक्षा क्षमता बढ़ेगी और इसका सैन्य बल आधुनिक होगा। इसके अनुसार, ”उपकरणों की प्रस्तावित बिक्री एवं सहयोग से क्षेत्र में मूलभूत सैन्य संतुलन नहीं बिगड़ेगा।
भारत एवं अमेरिका के बीच द्विपक्षीय रक्षा कारोबार वर्ष 2008 से करीब शून्य से 15 अरब डॉलर तक बढ़ा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया, ”अगले दशक तक सैन्य आधुनिकीकरण पर भारत के अरबों खर्च करने की संभावना है और हम अमेरिकी उद्योग जगत के लिये यह मौका हासिल करने को इच्छुक हैं। ऐसी बिक्रियों से ना सिर्फ हमारे रक्षा सहयोग को समर्थन मिलेगा बल्कि इनसे देश के अंदर नौकरियां भी पैदा होंगी।
हाल के वर्षों में अमेरिका ने सरकारी स्तर पर भारत को सी-17 परिवहन विमान, 155 मिमी लाइट-वेट टोड होवित्जर, यूजीएम -84 एल हारपून मिसाइल, सपोर्ट फॉर सी-130जे सुपर हरक्युलिस विमान और रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल एवं परमाणु (सीबीआरएन) सहयोग उपकरण बेचे हैं।

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