मनमोहन ने कहा, ”देश के किसी भी प्रधानमंत्री ने पद का प्रयोग विरोधियों के बारे में ऐसी बातें कहने के लिए नहीं किया जो मोदी जी दिन-रात करते हैं। एक प्रधानमंत्री के लिए इतना नीचे गिरना ठीक नहीं हैं और यह देश के लिए भी अच्छा नहीं।”
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 के मद्देनजर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार (7 मई) को बेंगलुरु में वर्तमान सरकार में हमला बोला। मनमोहन के निशाने पर नरेंद्र मोदी सरकार के आर्थिक फैसले रहे। मनमोहन ने मोदी से प्रधानमंत्री पद की गरिमा बनाए रखने और उसी के अनुरूप बयान देने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा, ”देश के किसी भी प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री के पद का प्रयोग विरोधियों के बारे में ऐसी बातें कहने के लिए नहीं किया जो मोदी जी दिन-रात करते हैं। एक प्रधानमंत्री के लिए इतना नीचे गिरना ठीक नहीं हैं और यह देश के लिए भी अच्छा नहीं।”
मनमोहन ने बैंकिंग व्यवस्था की गिरती साख पर केंद्र को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, ”मोदी सरकार का आर्थिक प्रबंधन धीरे-धीरे आम जनता का बैंकिंग व्यवस्था से विश्वास कम कर रहा है। विभिन्न राज्यों में नकदी की कमी की जो घटनाएं हुईं, उन्हें रोका जा सकता था।” पूर्व प्रधानमंत्री ने मोदी सरकार को दो ऐसी गलतियां गिनाईं, जिन्हें रोका जा सकता था।
मनमोहन ने कहा, ”मोदी सरकार की दो रोकी जा सकने वाली गलतियां नोटबंदी और जीएसटी को जल्दबाजी में लागू करना रहीं। इन गलतियों की वजह से अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हुआ उससे हमारे सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र को चोट पहुंची है और दसियों हजार नौकरियां चली गईं।”
No Prime Minister in our country has used the Office of the Prime Minister to say things about his opponent that Mr Modi has been doing day in & day out. It doesn't behove a Prime Minister to stoop so low & it is not good for the country as a whole as well: Manmohan Singh pic.twitter.com/ai4PZBrzU0
— ANI (@ANI) May 7, 2018
पूर्व प्रधानमंत्री ने नीरव मोदी के मसले पर भी मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा, ”जहां तक नीरव मोदी का सवाल है, यह बात स्पष्ट थी कि 2015-16 में मोदी (नीरव) के कामकाज में कुछ गड़बड़ चल रही थी। इसके बावजूद मोदी (नरेंद्र) सरकार ने कुछ नहीं किया। अगर किसी को दोष देना ही तो वर्तमान सरकार को दिया जाना चाहिए।”
मनमोहन ने आगे कहा, ”तथ्य है कि पीएम दावोस में नीरव मोदी के साथ थे और कुछ ही दिन बाद वह देश छोड़कर भाग गया। यह अपने आप में मोदी सरकार के ‘वंडरलैंड’ में खराब व्यवस्था का उदाहरण है।”
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