केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने ‘फेक न्यूज़ यानी फर्जी खबरों’ को लेकर बड़ा फैसला लिया है और प्रेस अधिमान्यता नियमों में बड़ा बदलाव किया है, जिसके तहत अब फेक न्यूज फैलाने वाले और चलाने वालों से निपटने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सोमवार (2 अप्रैल) को पत्रकारों की मान्यता के संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसमें ‘फेक न्यूज’ फैलाने वाले पत्रकारों की मान्यता खत्म करने जैसे कठोर प्रावधान भी शामिल हैं।
मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक, “अब फेक न्यूज के बारे में किसी प्रकार की शिकायत मिलने पर अगर वह प्रिंट मीडिया का हुआ तो उसे प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का हुआ तो न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन को भेजा जाएगा। ये संस्थाएं यह निर्धारित करेंगी कि समाचार फेक है या नहीं।”
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि पत्रकारों की मान्यता के लिए संशोधित दिशानिर्देशों के मुताबिक अगर फर्जी खबर के प्रकाशन या प्रसारण की पुष्टि होती है तो पहली बार ऐसा करते पाए जाने पर पत्रकार की मान्यता छह महीने के लिये निलंबित की जाएगी और दूसरी बार ऐसा करते पाए जाने पर उसकी मान्यता एक साल के लिए निलंबित की जाएगी।
इसके अनुसार, तीसरी बार उल्लंघन करते पाए जाने पर पत्रकार (महिला/ पुरूष) की मान्यता स्थायी रूप से रद्द कर दी जाएगी। मंत्रालय ने कहा कि अगर फर्जी खबर के मामले प्रिंट मीडिया से संबद्ध हैं तो इसकी कोई भी शिकायत भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) को भेजी जाएगी और अगर यह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संबद्ध पाया जाता है तो शिकायत न्यूज ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन (एनबीए) को भेजी जाएगी ताकि यह निर्धारित हो सके कि खबर फर्जी है या नहीं।
मंत्रालय ने कहा कि इन एजेंसियों को 15 दिन के अंदर खबर के फर्जी होने या न होने का निर्धारण करना होगा।
हालांकि सरकार के इस आदेश का विरोध भी शुरू हो गया है। कई पत्रकारों और विपक्ष के नेताओं ने ट्वीट कर नाराजगी व्यक्त की है। कांग्रेस नेता और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने ट्वीट कर कहा कि, ”मैं फेक न्यूज पर अंकुश के प्रयास की सराहना करता हूं, लेकिन मेरे मन में कई सवाल उठ रहे हैं। 1. क्या गारंटी है कि इस नियम का इस्तेमाल ईमानदार पत्रकारों को प्रताड़ित करने के लिए नहीं किया जाएगा? 2. यह कौन तय करेगा कि क्या फेक न्यूज है?”
कांग्रेस नेता ने कहा कि, ”3. क्या यह संभव नहीं है कि जानबूझ कर किसी के खिलाफ शिकायत की जाए, ताकि जांच जारी रहने तक उसकी मान्यता निलंबित हो जाए? 4. इसकी क्या गारंटी है कि ऐसे गाइडलाइन से फेक न्यूज पर रोक लगेगी, कहीं यह सही पत्रकारों को सत्ता के खिलाफ असहज खबरें जारी करने से रोकने की कोशिश तो नहीं?”
वहीं, सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने अहमद पटेल को जवाब देते हुए कहा कि, ”यह बताना उचित होगा कि फेक न्यूज के मामले पीसीआई और एनबीए के द्वारा तय किए जाएंगे, दोनों एजेंसियां भारत सरकार के द्वारा रेगुलेट या ऑपरेट नहीं की जाती हैं।”
Glad to see you awake @ahmedpatel ji whether a News article / broadcast is fake or not will be determined by PCI & NBA; both of whom I’m sure you know are not controlled/ operated by GOI.
— Smriti Z Irani (@smritiirani) April 2, 2018
What is the definition of fake news? In a democratic system, restricting media is equal to killing democracy. Today, we only get to see news that is pro-govt. India has believed in free media&that shld continue: Former Delhi CM S Dikshit on new guidelines issued by govt for media pic.twitter.com/qLNhR58wDu
— ANI (@ANI) April 3, 2018
वहीं, पत्रकार भी इस पर विचार करने के लिए एक बैठक करने और विरोध की तैयारी कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नए नियम की समीक्षा के लिए पत्रकारों ने आज शाम 4 बजे इमरजेंसी बैठक बुलाई है। कुछ पत्रकारों का कहना है कि यह ‘मीडिया का गला घोंटने की कोशिश के तहत लाया जा रहा सरकार का अलोकतांत्रिक कदम है।’ वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए ट्वीट करते हैं, ‘ऐसी गलती न करें. यह मुख्यधारा की मीडिया पर असाधारण हमला है। यह वैसा ही है जैसा राजीव गांधी का एंटी डेफमेशन बिल था। समूची मीडिया को अपने मतभेद भुलाकर इसका विरोध करना चाहिए।’
Make no mistake: this is a breathtaking assault on mainstream media. It’s a moment like Rajiv Gandhi’s anti-defamation bill. All media shd bury their differences and resist this. https://t.co/pyvgymhIkF
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) April 2, 2018
जबकि वरिष्ठ पत्रकार सुहासिनी हैदर ने ट्वीट कर कहा कि, ‘सरकार के आज के आदेश के मुताबिक सजा सिर्फ उन्हें मिलेगी जो मान्यता प्राप्त हैं। उन्हें सिर्फ शिकायत के आधार पर ही दंड दे दिया जाएगा, अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा नहीं की जाएगी। मुझे नहीं लगता कि यह उचित है मैम।’
Committee comprising of senior officers , reps of PCI, NBA, IBF set up for regulations/ policy for digital broadcasting & News portals. Till such time the regulation is not implemented rules cannot be enforced for news portals by industry.
— Smriti Z Irani (@smritiirani) April 2, 2018
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