कश्मीर / राज्यपाल ने कहा- मैं दिल्ली की तरफ देखता तो सज्जाद लोन की सरकार बनानी पड़ती

श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने के अपने फैसले पर मंगलवार को सफाई दी। उन्होंने कहा कि फिर एकबार साफ कर दूं कि अगर मैं दिल्ली की तरफ देखता तो सज्जाद लोन की सरकार बनानी पड़ती। इतिहास में मुझे बेइमान इंसान करार दिया जाता। जिन्हें गाली देनी है, वे देंगे, लेकिन मैं कन्विंस हूं कि मैंने सही काम किया।’’

मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एक कार्यक्रम के दौरान मलिक ने कहा, ‘‘चीन में कहावत है कि किसी को चांद दिखाओ तो नासमझ आदमी उंगली की तरफ देखता है, चांद की तरफ नहीं। किसी गवर्नर की यह ड्यूटी नहीं है कि ईद के दिन जब उसका रसोईया भी छुट्टी पर हो तो उस दिन वह शाम को सात बजे फैक्स मशीन खोलकर महबूबा मुफ्ती की चिट्ठी का इंतजार करे। सरकार बनाने में वे संजीदा थे तो श्रीनगर और जम्मू के बीच कई उड़ानें थीं। किसी को भी भेज देते। मैं रात 2 बजे भी फोन उठाता हूं। बिना अप्वाइंटमेंट के भी लोगों से मिलता हूं। महबूबा जी ने मुझे एक हफ्ते पहले कहा था कि मेरे विधायकों को तोड़ा जा रहा है, धमकाया जा रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सज्जाद लोन और भाजपा का गठबंधन भी था। वे कह रहे थे कि हमारे पास संख्या है। सज्जाद लोन ने कहा कि उन्होंने भी मेरे पीए को वॉट्सऐप किया था। सरकार बनाने के दावे वॉट्सऐप पर पेश नहीं किए जाते। मैं आश्वस्त था कि किसी के पास संख्या नहीं है। अगर एक को भी मौका दिया तो हॉर्स ट्रेडिंग शुरू हो जाएगी। कश्मीर का अलग संविधान नहीं होता तो मुझे राष्ट्रपति के पास मेरा फैसला भेजना पड़ता। मैं दिल्ली में था। शाम 4 बजे मैं राज्य में पहुंचा। अगर दिल्ली में किसी से पूछता तो हो सकता है कि वे कहते कि सज्जाद लोन को मौका दो। मैंने बिना दिल्ली से कोई आदेश लिए या मशविरा किए विधानसभा भंग कर दी। आप लोगों ने फैक्स मशीन को इश्यू बना दिया।’’

मुफ्ती और लोन ने सरकार बनाने का किया था दावा

सत्यपाल मलिक ने 21 नवंबर को दो दलों द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश करने के तुरंत बाद विधानसभा भंग कर दी थी। इससे पहले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को भेजी चिट्ठी में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के समर्थन में सरकार बनाने का दावा किया था। इसके कुछ ही मिनट बाद पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के लीडर सज्जाद लोन ने भी राज्यपाल को चिट्ठी भेज भाजपा के सभी विधायकों के अलावा 18 से ज्यादा अन्य विधायकों के समर्थन में बहुमत का दावा किया था।

मलिक के फैसले को कांग्रेस ने भाजपा की तानाशाही बताया

मलिक के इस फैसले के बाद कांग्रेस, पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सवाल उठाए थे। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया था कि हम पिछले 6 महीने से विधानसभा भंग करने की मांग कर रहे थे, लेकिन जैसे ही पीडीपी ने दावा किया, उसके तुरंत बाद ही राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि दल अभी सिर्फ बातचीत कर रहे थे। अफवाहों पर ही विधानसभा को भंग कर दिया। यह भाजपा की तानाशाही है।

भाजपा के समर्थन वापस लेने के बाद से राज्यपाल शासन था
जून में भाजपा ने पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया था। जिसके बाद से वहां राज्यपाल शासन था। 21 नवंबर को पीडीपी-कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार बनने की चर्चा तेज हुई। इसके बाद महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन ने सरकार बनाने का दावा किया था।

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