भय्यूजी की खुदकुशी को लेकर दिग्विजय ने शिवराज सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

जाने-माने आध्यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज ने मंगलवार को इंदौर में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। उन्होंने सुसाइड नोट में तनाव में होने और परेशान होने की बात कही है। हालांकि अभी तक इस बात का पता नहीं चल सका है कि वह किस वजह से तनाव में चल थे। इस मामले पर सियासत भी तेज हो गई है। मध्य प्रदेश कांग्रेस इसकी सीबीआई जांच कराने की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी इस मामले पर शिवराज सरकार पर निशाना साधा है।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, दिग्विजय सिंह ने सनसनीखेज आरोप लगाता हुए कहा कि वह(भय्यूजी महाराज) शिवराज सरकार द्वारा नर्मदा में करवाए जा रहे अवैध खनन के लेकर चिंतित थे। शिवराज सिंह ने भय्यूजी महाराज को अपना मुंह बंद रखने के लिए मंत्री पद भी ऑफर किया था। लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया था। उन्होंने खुद मुझे कॉल पर इस बारे में बताया था।

भय्यू जी महाराज के बारे में

महाराष्ट्रियन समाज के बीच भैय्यू जी काफी लोकप्रिय थे। करीब 50 साल के मशहूर भय्यूजी महाराज को मॉडर्न और राष्ट्रीय संत माना जाता है। उन्होंने मॉडलिंग से करियर की शुरुआत की थी।

1968 को जन्मे भय्यू महाराज का असली नाम उदयसिंह देशमुख था। वे शुजालपुर के जमींदार परिवार से ताल्लुक रखते थे।

कभी कपड़ों के एक ब्रांड के लिए ऐड के लिए मॉडलिंग कर चुके भय्यू महाराज गृहस्थ संत थे। सदगुरु दत्त धार्मिक ट्रस्ट उनके ही देखरेख में चलता था। उनका मुख्य आश्रम इंदौर के बापट चौराहे पर है। पिछले साल उन्होंने दूसरी शादी की थी।

रसूखदार लोगों से रहा नाता

वे चर्चा में तब आए जब अन्ना हजारे के अनशन को खत्म करवाने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने अपना दूत बनाकर भेजा था। बाद में अन्ना ने उनके हाथ से जूस पीकर अनशन तोड़ा था।

पीएम बनने के पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी सद्भावना उपवास पर बैठे थे। तब उपवास खुलवाने के लिए उन्होंने भय्यू महाराज आमंत्रित किया था। पूर्व प्रेसिडेंट प्रतिभा पाटिल, पीएम नरेंद्र मोदी, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम विलासराव देखमुख, शरद पवार, लता मंगेशकर, उद्धव ठाकरे और मनसे के राज ठाकरे, आशा भोंसले, अनुराधा पौडवाल, फिल्म एक्टर मिलिंद गुणाजी भी उनके आश्रम आ चुके हैं।

रॉलेक्स घड़ियों के शौकीन भय्यू जी महाराज प्रवचन देते थे, लेख और कविताएं लिखते थे, गाने और भजन गाते थे। खबरों के मुताबिक, वे स्कॉलरशिप बांटते थे, कैदियों के बच्चों को पढ़ाते थे, किसानों को खाद-बीज मुफ्त बांटते थे, गांवों में तालाब खुदवाते थे, पौधारोपण करवाते थे, बीमारों के लिए इलाज का इंतजाम करते हैं, सामूहिक विवाह करवाते थे।

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