उत्तर कोरिया के साथ ऐतिहासिक सम्मेलन के लिए सिंगापुर पहुंचे ट्रंप, 12 को होगी किम से मुलाकात

 

उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के साथ ऐतिहासिक सम्मेलन के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आज शाम सिंगापुर पहुंचे। इस अहम सम्मेलन में प्योंगयांग के परमाणु निरस्त्रीकरण का मुद्दा बातचीत के एजेंडे में शीर्ष पर रहेगा।
ट्रंप और किम के बीच मंगलवार को होने वाला यह सम्मेलन किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति और उत्तर कोरियाई नेता के बीच पहली बैठक होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बैठक को शांति की ‘ एकमात्र पहल बताया है।
नॉर्थ कोरिया और अमेरिका के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब दोनों देशों के मौजूदा राष्‍ट्राध्यक्षों के बीच मुलाकात होगी। आपको बता दें दोनों शीर्ष नेताओं के बीच प्रस्तावित यह मुलाकात 12 जून को सिंगापुर में आयोजित होगी। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, भारत, सोवियत यूनियन और चीन का मिलकर जो संगठन बना उसके सामने जापान ने समर्ण कर दिया था। अब कोरिया महाद्वीप के दो हिस्सों में दो अलग-अलग देशों की सेनाओं का कब्जा था। नॉर्थ कोरिया रूस के कब्जे में था तो साउथ कोरिया पर अमेरिका कब्जा जमाए हुआ था। ऐसा अमेरिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जी योंग ली की ओर से लिखे एक लेख में कहा गया है।
नॉर्थ कोरिया ने 1950 के करीब कोरिया महाद्वीप को एक में मिलाने की कोशिश की जिसके परिणाम स्वरूप 1950 में कोरिया का युद्ध हुआ जिसका चीन को पूरी तरह से समर्थन मिला हुआ था। परिणाम यह हुआ कि इस युद्ध में अमेरिका के 50 हजार सैनिकों के साथ लाखों कोरियाई और चीनी सैनिक भी मारे गए। तब से आज तक लगातार साउथ कोरिया और नॉर्थ कोरिया के रिश्ते तनावपूर्ण रहे है
अमेरिका से उत्तर कोरिया की दुश्मनी का एक कारण यह भी है कि 1968 में जब वियतनाम युद्ध् अपने चरम पर था, तब उत्तर कोरिया की फौज ने हमला कर अमेरिकी नैवी के खुफिया जहाज प्यूब्लो को पकड़ लिया और इसमें सवार 83 सदस्यों को कैद कर लिया। इस घटना को दुनिया ने ‘Pueblo incident’ के रूप में जाना। 11 महीने पर उत्तर कोरिया ने जब अमेरिकी जहाज को मुक्त किया तब तक कैद किए सदस्यों में से एक की मौत भी हो चुकी थी। ट्रंप ने अमेरिका की सत्ता संभालने के साथ ही उत्तर कोरिया पर भड़काऊ बयानबाजी शुरू कर दी थी। एक बार ट्रंप ने यहां तक कहा था कि उत्तर कोरिया अमेरिका को ज्यादा धमकी न दे, नहीं तो उन्हें ऐसी आग और तबाही देखने को मिलेगी जिसे दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा होगा। इसके बाद उत्तर कोरिया ने और शक्तिशाली मिसाइलों का परीक्षण किया और अमेरिका को दिखाया कि उनकी ताकत क्या है।
अब 65 साल पुरानी दुश्मनी जब दोस्ती की ओर कदम बढ़ा चुकी है तो अमेरिका उत्तर कोरिया को यह समझाने में कामयाब हो पाएगा कि वह अपने परमाणु हथियार नष्ट कर दे जो कि अमेरिका की सबसे बड़ी चिंता का कारण हैं? विशेषज्ञों की राय देखें तो उत्तर कोरिया शायद ही कभी ऐसा करने के लिए तैयार हो। क्योंकि तानाशाह किम जोंग उन कई बार यह कह चुका है कि उन्हें परमाणु शक्ति संपन्न रहने की जरूरत है जिससे कि वह अमेरिका से अपनी रक्षा कर सके। ऐसा भी माना जा रहा है कि किम जोंग उन अपने देश के लोगों में अपनी धाक जमाने के लिए भी परमाणु शक्ति का इस्तेमाल कर रहा है। ताकि लोग अपने देश के शक्तिशाली नेता और हथियारों पर गर्व कर सकें और उसका शासन सुचारू रूप से चलता रहे।

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