2019 के लिए तीसरे मोर्चे की घेराबंदी और तेज होती जा रही है. इसी सिलसिले में शुक्रवार को बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन से चेन्नई में मुलाकात की. इससे पहले भी ये दोनों नेता अन्य दलों के नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं.
इस दौरान दोनों नेताओं ने डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि से भी मुलाकात की. बातचीत की फोटो ट्वीट करते हुए स्टालिन ने लिखा, ‘मौजूदा राजनीतिक माहौल में इन दोनों नेताओं से सकारात्मक मुलाकात हुई, शुक्रगुजार हूं इनका क्योंकि दोनों नेताओं को करुणानिधि की सेहत के बारे में पता किया.’
Had a productive discussion with former Union Ministers @YashwantSinha and @ShatruganSinha MP on the prevailing political scenario. Thankful to them for enquiring about Thalaivar Kalaignar's health. pic.twitter.com/alGVIn41xJ
— M.K.Stalin (@mkstalin) May 4, 2018
पिछले दिनों शत्रुघ्न सिन्हा और यशवंत सिन्हा ने टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी से भी मुलाकात थी. शत्रुघ्न सिन्हा जहां बीजेपी में अपने बगावती सुर के लिए जाने जाते हैं, वहीं यशवंत सिन्हा बीती 21 अप्रैल को बीजेपी छोड़ चुके हैं. स्टालिन से कुछ दिनों पहले टीआरएस प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखऱ राव ने भी मुलाकात की थी.
बीजेपी पर हमला करने के दौरान कई बार यशवंत सिन्हा गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी दलों को बाहर से समर्थन करने की बात करते आए हैं. हालांकि पार्टी से छोड़ने के बाद उन्होंने किसी भी दल में शामिल न होने की बात जरूर कही थी. लेकिन बीजेपी को रोकने के लिए तीसरे मोर्चे के गठन में उनकी भूमिका अहम हो सकती है.
शत्रुघ्न सिन्हा का रुख भी बीजेपी के लिए हमलावर ही रहा है. पिछलों दिनों शत्रुघ्न अरविंद केजरीवाल से लेकर तेजस्वी यादव तक की तारीफ भी कर चुके हैं. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि एक-दूसरे के विरोधी रहे दलों को साथ लाने में यह दोनों नेता एक पुल का काम कर सकते हैं.
ममता बनर्जी से लेकर के चंद्रशेखर भी तीसरे मोर्च के हिमायती रहे हैं. चंद्रशेखर राव पिछले दिनों यूपी के पूर्व सीएम और सपा के मुखिया अखिलेश यादव से भी मिल चुके हैं. वहीं अखिलेश और ममता की मुलाकात को भी ज्यादा दिन नहीं गुजरे हैं. तमाम गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी नेताओं की बैठकें और मुलाकातें इस बात की ओर इशारा कर रही हैं कि आने वाले लोकसभा चुनाव में फेडरल फ्रंट या तीसरे मोर्च का विचार मूर्त रूप ले सकता है.
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