World Bank: 2018 में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में राहत मिलने की उम्मीद नहीं, 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती कीमते

इस साल तेल की कीमतों में राहत मिलने की उम्मीद नहीं है. विश्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में तेल-गैस और कोयले के दाम 2018 में 20 प्रतिशत तक बढ़ने का अंदेशा जताया है.

जैसा कि विश्व बैंक ने कहा है, तेल की कीमतों में उछाल का भारत की आर्थिकी पर बुरा असर पड़ सकता है. बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत जैसे देशों पर तेल की कीमतें बढ़ने का उलटा असर पड़ेगा क्योंकि ये इनके भारी आयात पर निर्भर करता है.

विश्व बैंक ने बुधवार को अप्रैल कमोडिटी बाजार का हाल जारी किया. तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का यह अनुमान अक्बटूर में जारी पिछले अनुमानों से 16 प्रतिशत ज्यादा है. बैंक ने कहा कि मजबूत मांग और तेल पैदा करने वाले देशों की ओर से उत्पादन में कटौती से 2018 में कच्चे तेल की कीमतें औसतन 65 डॉलर प्रति रहने का अनुमान है, जो कि 2017 के 53 डॉलर प्रति बैरल से अधिक है. मेटल की कीमतें इस साल 9 प्रतिशत अधिक रहने की उम्मीद जताई गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 में तेल की कीमतें 65 डॉलर प्रति बैरल रहने की उम्मीद है जो 2017 में 53 डॉलर प्रति बैरल से 22 प्रतिशत ज्यादा है. इसके लिए ओपेक और रूस की ओर से तेल उत्पादन में की गई कटौती को अहम कारण माना जा रहा है. तेल निर्यात करने वाले 14 देशों के बाद ओपेक और रूस का उत्पादन में सबसे अहम स्थान आता है.

भारत जैसे देश के लिए इसे अच्छी खबर नहीं मान सकते क्योंकि ऐसे देश अपनी खपत का 80 प्रतिशत हिस्सा निर्यात करते हैं. भारत में वैसे भी इस साल तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं.

सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि मौजूदा सरकार के लिए कीमतों में बढ़ोतरी गंभीर मसला हो सकता है क्योंकि दबाव में आकर उसे एक्साइज में कटौती करनी पड़ सकती है. हालांकि सरकार तेल या गैस नहीं खरीदती लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी विदेशी एक्सचेंज में रुपए की स्थिति बिगाड़ सकती है. इससे सब्सिडी बढ़ने का खतरा पैदा होगा जिसका असर महंगाई पर देखा जा सकता है.

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