आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर एनडीए में दरार आ गई है। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से नाराज तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के दो मंत्रियों के इस्तीफा देने से पहले ही राज्य सरकार में बीजेपी कोटे के मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। ये भी क़यास लगाया जा रहा है कि कुछ ही देर में मोदी कैबिनेट में शामिल टीडीपी के दोनों मंत्री भी इस्तीफा दे सकते हैं।
इससे पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी कि केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा नहीं निभाया है। चंद्रबाबू ने कहा, हम सरकार का हिस्सा यह सोचकर बने थे आंध्र प्रदेश के साथ न्याय होगा। हालांकि टीडीपी ने अभी एनडीए से अलग होने का एलान नहीं किया है। केंद्र सरकार में टीडीपी के अशोक गजपति राजू कैबिनेट मंत्री और वाईएस चौधरी राज्यमंत्री हैं। उधर,आंध्र प्रदेश की सरकार में शामिल भाजपा के दो मंत्रियों ने भी इस्तीफा देने का फैसला किया है।
टीडीपी को साधने के लिए सरकारी स्तर पर चल रहे प्रयासों के बीच भाजपा ने दो टूक कहा कि वह संसद में उसके हंगामे को और ज्यादा बर्दाश्त नहीं करेगी। टीडीपी पहले यह तय करे कि भाजपा के साथ रहना है या नहीं। भाजपा का कहना है कि साथ में रहना है तो उनकी मांगों पर रास्ता निकाला जायेगा । लेकिन विशेष राज्य का दर्जा संभव नहीं है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने टीडीपी की मांगों पर स्थिति साफ कर दी है। कि आंध्र प्रदेश की राजनीति में भाजपा-टीडीपी के बीच टकराव बढ़ रहा है। टीडीपी सांसद दोनों सदनों को बाधित कर रहे हैं।
भाजपा नेतृत्व ने टीडीपी से कहा कि उसे साथ रहना है तो दूसरे रास्तों से समस्या का हल निकाला जा सकता है, लेकिन साथ में रहते हुए संसद में हंगामा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब गेंद टीडीपी के पाले में है। विकल्प के तौर पर भाजपा के संपर्क में जगन मोहन के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस व पवन कल्याण के नेतृत्व वाला दल है।
सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री की भी टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू से पहले चर्चा हो चुकी है। टीडीपी सांसदों ने मंगलवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात कर अपनी मांगे रखी थी, जिसमें उन्होंने स्थिति साफ कर दी थी।
जेटली ने कहा कि नए राज्य के गठन के समय विशेष राज्य का दर्जा देने की श्रेणी शामिल थी, लेकिन 14 वें वित्त आयोग में उसे केवल पहाड़ी व पूर्वोत्तर राज्यों तक सीमित कर दिया गया है। ऐसे में विशेष राज्य का दर्जा देना संभव नहीं है। हालांकि केंद्र उसे विशेष राज्यों के समकक्ष वित्तीय मदद देने को तैयार है। जेटली ने कहा कि राज्य के विभाजन के समय केंद्र सरकार ने जो वादे किए थे उन्हें पूरा किया जा रहा है।
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