पिछले कुछ दिन के अंदर दो महानायकों की मूर्तियां तोड़ने की 3 बड़ी घटनाएं सामने आ चुकी है, पहले त्रिपुरा में भाजपा को चुनावी विजय मिली और तभी से उसके कार्यकर्ता गुंडागर्दी पर उतारू हैं। त्रिपुरा में 24 घंटे के अंदर लेनिन की 2 मूर्तियों को तोड़ने के बाद अब तमिलनाडु में पेरियार की मूर्ति तोड़ी जाने की खबर आ रही है।
पहले लेनिन की मूर्ति तोड़कर केरल में वामपंथी कार्यकर्ताओं को भड़काने की कोशिश की, फिर भी वहां दंगा नहीं करा सके तो अब द्रविड़ियन आइकन पेरियार की मूर्ति तोड़कर तमिलनाडु में दंगे कराने की कोशिश कर रहे हैं।
Police personnel guard a #PeriyarStatue in Coimbatore's. Gandhipuram. A Periyar statue was vandalized in Vellore earlier pic.twitter.com/O4w9thY707
— ANI (@ANI) March 7, 2018
गौरतलब है कि लेनिन की मूर्ति तोड़े जाने के बाद भाजपा नेता ने धमकी दी थी कि आज लेनिन की मूर्ति तोड़ी गई है तो कल पेरियार की तोड़ेंगे और शाम होते-होते उपद्रवियों ने अपने नेता की कथनी को सच करके दिखा दिया। भाजपा नेता एच राजा ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि ‘ लेनिन कौन है, इनका भारत से क्या नाता है , भारत और साम्यवाद का क्या रिश्ता है ?
यहां के वेल्लूर में पेरियार की मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है। इस घटना के बाद से पूरे राज्य में हंगामा मच गया है। इस मामले में दो लोगों की गिरफ्तारी हुई है और पूरे जिले में सुरक्षा व्यवस्था चौकस कर दी गई है। जिन दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनकी पहचान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और सीपीआई कार्यकर्ता के रूप में हुई है। पुलिस अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि पेरियार की मूर्ति चेहरे से क्षतिग्रस्त हुई है।
आज लेनिन की मूर्ति टूटी है कल परियार की मूर्ति तोड़ी जाएगी ‘ इस तरह से भड़काऊ पोस्ट पर बवाल मचा तो उन्होंने Facebook पोस्ट हटा ली लेकिन जवाबी प्रतिक्रिया में डीएमके नेता स्टालिन ने कहा भाजपा नेताओं को पेरियार की मूर्ति छूने नहीं दी जाएगी अगर उन्होंने हाथ भी लगाया तो उन्हें जेल में डाल देंगे।
तमिलनाडु में ईवी रामास्वामी यानी पेरियार (1879-1973) ने प्रसिद्ध पेरियार आंदोलन चलाया था। यह आंदोलन नास्तिकता (या तर्कवाद) के प्रसार के लिए जाना जाता है। इसके बाद उन्होंने द्रविड़ कड़गम नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई थी। इसकी विभिन्न शाखाओं और डीएमके जैसी द्रविड़ियन पार्टियों के सदस्यों ने खुले तौर पर नास्तिकता का प्रसार और उसे स्वीकार किया। हालांकि, समय बीतने के साथ ही इसके कुछ मानने वालों ने धर्म और धार्मिक रीतियों का पालन शुरू कर दिया, जिसके खिलाफ पेरियार ने जीवन भर संघर्ष किया था।
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