8 मार्च ही क्यों मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस गुरुवार को है । सबसे पहले 1909 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था। इसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1975 से मनाना शुरू किया था । विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए इस दिन को महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं लेकिन अतीत में ऐसा नहीं था। जिस प्रकार की आजादी आज हम महिलाओं को प्राप्त हुए देखते हैं, वे पहले नहीं थीं। न वे पढ़ पाती हैं न नौकरी कर पाती थीं और न ही उन्हें वोट डालने की आजादी थी।

1908 में 15000 महिलाओं ने न्यूयॉर्क सिटी में वोटिंग अधिकारों की मांग के लिए, काम के घंटे कम करने के लिए और बेहतर वेतन मिलने के लिए मार्च निकाला। एक साल बाद अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी की घोषणा के अनुसार 1909 में यूनाइटेड स्टेट्स में पहला राष्ट्रीय महिला दिवस 28 फरवरी को मनाया गया। 1910 में clara zetkin (जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की महिला ऑफिस की लीडर) नामक महिला ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का विचार रखा, उन्होंने सुझाव दिया की महिलाओ को अपनी मांगो को आगे बढ़ने के लिए हर देश में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाना चाहिए। एक कांफ्रेंस में 17 देशो की 100 से ज्यादा महिलाओ ने इस सुझाव पर सहमती जताई और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की स्थापना हुई, इस समय इसका प्रमुख उद्देश्य महिलाओं को वोट का अधिकार दिलवाना था। 19 मार्च 1911 को पहली बार आस्ट्रिया डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। 1913 में इसे ट्रांसफर कर 8 मार्च कर दिया गया और तब से इसे हर साल इसी दिन मनाया जाता है।

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