अगर स्वस्थ रहना तो 40 पार करने से पहले बदल ले ये छह आदतें

उम्र बढ़ने के साथ कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ने लगता है। खासतौर से तब जब हमें दिनचर्या या जीवनशैली संबंधी कुछ समस्याएं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ती उम्र में अगर गंभीर बीमारियों से बचना चाहतें है तो 40 साल की उम्र पार करने से पहले कुछ आदतें छोड़ देनी ही सही है । बर्मिंघम स्थित इंटरवेंश्नल कार्डियोवास्कुलर प्रोग्राम्स और वुमेन्स हॉस्पिटल हार्ट एंड वास्कुलर सेंटर में कार्यकारी निदेशक और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में प्रोफेसर डॉक्टर दीपक भट्ट का कहना है कि बिना हृदय रोग के 40 की उम्र पार करना कोई बड़ी बात नहीं है। हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और डायबिटीज का खतरा इस उम्र तक आते-आते बढ़ने लगता है। इसलिए जीवनशैली में कुछ बदलाव को अपनाकर आप कई गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता हैं।
धूम्रपान दिल की बीमारी का सबसे प्रमुख कारण हो सकता है क्योंकि इसे छोड़ना आसान नहीं होता है। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के लैगॉन हेल्थ में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर और कार्डियोलॉजिस्ट रिचर्ड स्टीन का कहना है कि धूम्रपान छोड़ने के लिए अपने डॉक्टर की मदद लेने से कतराना नहीं चाहिए।
शरीर की यह दशा इस बात की सूचक है कि आपको हृदय रोग की कितनी आशंका है। 40 साल की उम्र पार करने के बाद खराब खानपान के कारण हमारे शरीर का चयापचय धीमा होने लगता है। इसलिए अपनी खानपान की आदतों में तुरंत बदलाव लाना चाहिए। अपने वजन पर निगरानी रखना बेहतर होगा। अक्सर बिना सोचे-समझे कुछ भी खाने लगते हैं। यह आदत एक उम्र तक तो ठीक रहती है, मगर 40 के करीब पहुंचने पर ऐसा करना सही नहीं होता है। हमारे शरीर को पोषक तत्वों की जरूरत होती है, बेहतर होगा कि हम संतुलित मात्रा में पौष्टिक आहार लें। मगर इसका मतलब यह कतई नहीं है कि हम घी-तेल से बिलकुल किनारा कर लें। शरीर को हर चीज की जरूरत होती है।
नियम से व्यायाम करना हृदय को स्वस्थ रखने के लिए बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि हफ्ते में तीन से चार बार 30 से 45 मिनट का व्यायाम दिल को दुरुस्त रखने के लिए बेहद जरूरी होता है। हालांकि हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जिस तरह बिलकुल व्यायाम नहीं करना अच्छा नहीं होता है, उसी तरह ज्यादा व्यायाम भी सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है।
ज्यादा तनाव सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है। खुद को आराम देने के रास्ते तलाशने चाहिए। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कब सुबह से शाम हो जाती है, पता ही नहीं चलता है। इसलिए जब मौका मिले कुछ वक्त खुद को आराम देना चाहिए।
आज के कॉर्पोरेट कल्चर में ऑफिस में सब कुछ कर्मियों की सीट पर ही रहता है। मतलब उसे अपनी सीट से उठने की जरूरत ही न पड़े। हालांकि यूनीवर्सिटी ऑफ मैरिलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन में कार्डियोवास्कुलर मेडिसिन के प्रोफेसर माइकल मिलर का कहना है कि यह रहन-सहन हमें कई गंभीर बीमारियों के करीब ले जा रहा है।

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