पूर्वोत्तर भारत में नागरिकता संशोधन बिल को लेकर हो रहे विरोधों के बीच बीजेपी नेता ने पीएम मोदी को चुनौती दी है। शिलांग संसदीय सीट से बीजेपी उम्मीदवार सनबोर शुल्लई ने कहा कि वह मेघालय और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में नागरिकता(संशोधन) विधेयक लागू होने देने की बजाय आत्महत्या कर लेंगे।
मोदी सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर अपने रुख पर कायम है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह रैलियों में दावा कर रहे हैं कि उनकी पार्टी बिल को पारित कराने के लिए संकल्पबद्ध है। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी में ही इस बिल को लेकर विरोध शुरू हो गया है। शिलॉन्ग सीट से बीजेपी प्रत्याशी सनबोर शुल्लई ने इस पर पार्टी को खुली चुनौती दी है। उन्होंने कहा, “जब तक मैं जिंदा हूं तब तक नागरिकता संशोधन विधेयक लागू नहीं हो सकता है।”
Sanbor Shullai, BJP candidate from Shillong parliamentary seat: As long as I'm alive Citizenship Amendment Bill (CAB) will not be implemented. I will kill myself, I will suicide before Narendra Modi but I will not let CAB to be implemented. #Meghalaya (11/4/19) pic.twitter.com/UyR80lY9hF
— ANI (@ANI) April 12, 2019
उन्होंने आगे कहा, “मैं अपनी जान दे दूंगा। पीएम नरेंद्र मोदी के सामने आत्महत्या कर लूंगा, लेकिन मैं इस विधेयक को किसी भी हालता में लागू नहीं होने दूंगा।”
The Kerala Christian Forum also expressed hope that Amit Shah & BJP tender apology to the nation & especially to the minority communities of the country, which has felt persecuted by the statement. https://t.co/6nJ8G1HLlY
— ANI (@ANI) April 12, 2019
दूसरी ओर नागरिकता संशोधन बिल को लेकर अमित शाह के हालिया बयान पर चौतरफा निंदा हो रही है। उनके इस बयान से ईसाई समुदाय का एक तबका भी नाराज है। केरल क्रिश्चियन फोरम ने अमित शाह के बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि यह देश के धर्म निरपेक्ष (सेक्यूलर) दर्जे पर, देश की अखंडता और पहचान पर सीधा हमला है। फोरम ने इस बयान पर अमित शाह और बीजेपी से देश और खासकर अल्पसंख्यकों से माफी की मांग की है। बता दें कि बीजेपी अध्यक्ष ने कहा था कि “हम देश में एनआरसी रजिस्टर लागू करेंगे। हम बौद्ध, हिंदू और सिखों को छोड़कर एक-एक घुसपैठिए को देश से बाहर करेंगे।”
What can be a bigger "Tukde Tukde" policy? https://t.co/EwSL2nM3KK
— M K Venu (@mkvenu1) April 12, 2019
अमित शाह के बयान पर पत्रकार एमके वेणु ने अमित शाह पर हमला करते हुए कहा कि इससे बड़ी ‘टुकड़े- टुकड़े’ नीति क्या हो सकती है?
a) Amit Bhai can't tell difference between Buddha & Buddhists b) this statement clearly tells Muslim minorities in Myanmar, & Muslims in India too that THEY will be treated as 'infiltrators' while non Muslims are welcome. Shame on @ECISVEEP for allowing a new low from BJP daily. https://t.co/rhxbjPiMAP
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) April 11, 2019
ऐपवा की राष्ट्रीय अध्यक्ष कविता कृष्ण ने अमित शाह से दो सवाल पूछे। उन्होंने कहा, “पहला अमित भाई बुद्ध और बौद्धों के बीच अंतर नहीं बता सकते हैं। दूसरा यह कथन म्यांमार में मुस्लिम अल्पसंख्यकों, और भारत में मुसलमानों को भी स्पष्ट रूप से बताता है कि उन्हें ‘घुसपैठियों’ के रूप में माना जाएगा जबकि गैर मुस्लिमों का स्वागत है।”
बता दें कि पूर्वोत्तर के तमाम राज्यों में इस बिल के खिलाफ विरोध जारी है। हाल ही में नागालैंड में बीजेपी के 37 सदस्यों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। इन सभी सदस्यों ने नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में पार्टी छोड़ दिया था। राज्य बीजेपी प्रमुख को लिखी चिट्ठी में सदस्यों ने कहा था कि वे इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं क्योंकि वे पार्टी के सिद्धांतों से इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि उन्हें सबसे ज्यादा परेशानी ‘हिंदुत्व नीति’से है।
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