चुनाव आचार संहिता और इसके नियम क्या हैं?

निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव – 2019 की तारीखों की घोषणा कर दी है. इसके साथ ही पूरे देश में आचार संहिता लागू हो गई है. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं. इसी नियमावली को आचार संहिता कहते हैं. चुनावों की तारीखों से लेकर परिणामों की घोषणा तक सत्ताधारी व अन्य राजनीतिक दलों के साथ सरकारी अधिकारियों के लिए इन नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है.

आचार संहिता लागू होने के दौरान केंद्र सरकार और सभी राज्यों के कर्मचारी चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी के रूप में काम करते हैं. इस दौरान सार्वजनिक धन, यानी सरकारी पैसे के जरिए कोई भी ऐसा कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सकता जिससे किसी दल का प्रचार होता हो. सरकारी गाड़ी, विमान या बंगले को चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. वहीं, जो भी दल सत्ता में हो, वह किसी भी तरह की सरकारी घोषणा, शिलान्यास आदि कार्यक्रम आयोजित नहीं कर सकता. इस समय सरकारी स्थानों के प्रयोग की भी मनाही है. यह सब सुनिश्चित करने और राजनीतिक दलों की गतिविधियों की निगरानी के लिए आयोग कई पर्यवेक्षक नियुक्त करता है.

इसके अलावा राजनीतिक दलों, उनके प्रत्याशियों और समर्थकों को रैली, जुलूस या अन्य चुनावी कार्यक्रमों के आयोजन के लिए संबंधित क्षेत्र की पुलिस या प्रशासन से पूर्व अनुमति लेनी होती है. आचार संहिता के नियमों के मुताबिक इन कार्यक्रमों में कोई भी राजनीतिक दल जाति या धर्म के आधार पर वोट नहीं मांग सकता. कोई राजनीतिक दल या प्रत्याशी ऐसी बात या काम नहीं कर सकता जिससे धर्म, जाति, भाषा या अन्य प्रकार से समुदायों के बीच नफरत फैलती हो. चुनाव आयोग के मुताबिक दलों को चुनाव की लड़ाई अपने बीच रखनी चाहिए और इसे व्यक्तिगत होने से भी रोकना चाहिए.

इन नियमों के उल्लंघन पर चुनाव आयोग संबंधित दल पर दंडात्मक कार्रवाई कर सकता है. इनमें प्रत्याशी का नामांकन खारिज करने से लेकर आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने जैसे कदम तक शामिल हैं. नियमों के मुताबिक दोषी पाए जाने पर प्रत्याशी को जेल तक हो सकती है.

आचार संहिता का पालन केवल राजनीतिक दल नहीं करते, बल्कि मतदाताओं को भी इसका ध्यान रखना होता है. नियमों के मुताबिक मतदान के दिन उन्हें समय पर मतदान केंद्र पहुंच जाना चाहिए. वोटर स्लिप के अलावा वोटर आईडी कार्ड या कोई अन्य सरकारी पहचान पत्र साथ में रखना चाहिए. आचार संहिता के तहत यह उम्मीद की जाती है कि नागरिक खुद तो वोट करें ही, साथ ही अन्य नागरिकों को भी मतदान के लिए जागरूक करें.

इसके अलावा मतदान को लेकर भी नियम हैं. जैसे वोटिंग से 24 घंटे पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए पैसे, शराब या अन्य चीज़ों का प्रलोभन न दिया जाए. वोटिंग के दिन मतदान केंद्र के पास राजनीतिक दल अपने कैंप लगाते हैं. नियमों के मुताबिक इन कैंपों के पास भीड़ इकट्ठी नहीं हो सकती.

आचार संहिता के दायरे में अब सोशल मीडिया भी है. इस बार के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों को नामांकन भरते समय अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी देनी होगी. बताया जा रहा है कि वे चुनाव प्रचार थमने के बाद मतदाताओं को फोन, एसएमएस या वॉट्सएप के जरिए अपने पक्ष में वोट करने को नहीं कह सकते.

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*