19 टन आलू बेचकर हुई 490 रुपये की कमाई, भड़के किसान ने मोदी को भेज दी रकम

किसान ने आरोप लगाया, ”केंद्र सरकार ने किसानों की आय डेढ़ गुना बढ़ाने का वादा किया था लेकिन बीमा के दावों से वंचित किसानों के कल्याण की सभी योजनाओं को कृषि विभाग के भ्रष्टाचार ने विफल कर दिया।”

उत्तर प्रदेश के आगरा के एक किसान ने कथित तौर पर 19 टन आलू बेचकर महज 490 रुपये की कमाई की और यह रकम विरोध स्वरूप मनी ऑर्डर के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेज दी। हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक आगरा के बरोली अहीर इलाके के नगला नाथू गांव के किसान प्रदीप शर्मा ने फसल बीमा के संबंध में कृषि विभाग में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। किसान ने मीडिया से कहा, ”मैं चार से साल से साल दर साल आलू की खेती में नुकसान झेल रहा हूं। मैंने जुलाई में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से इच्छामृत्यु मांगी थी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।” प्रदीप शर्मा ने मनी ऑर्डर के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए 490 रुपये की रसीद भी दिखाई। किसान ने आरोप लगाया, ”केंद्र सरकार ने किसानों की आय डेढ़ गुना बढ़ाने का वादा किया था लेकिन बीमा के दावों से वंचित किसानों के कल्याण की सभी योजनाओं को कृषि विभाग के भ्रष्टाचार ने विफल कर दिया।”

शर्मा ने कहा कि पूर्व में कृषि बीमा राशि के भुगतान के समय एक बड़ी राशि काट ली गई थी। शर्मा ने कहा, ”मैंने सभी संभावित स्तरों पर अधिकारियों को पत्र लिखे और चार बार उपमुख्यमंत्री से मुलाकात की लेकिन कृषि विभाग के अधिकारी अपने भ्रष्ट आचरण को सुधारने के लिए तैयार नहीं हैं, बावजूद इसके कि जिला मजिस्ट्रेट तक ने उन्हें अपनी कार्यशैली बदलने के लिए कहा।” बता दें कि पूर्व में भी ऐसी खबरें सामने आ चुकी हैं जब नाराज किसानों ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजे।

पिछले वर्ष दिसंबर में महाराष्ट्र के नासिक के एक किसान संजय साठे ने 750 किलो प्याज बेचकर महज 1064 रुपये कमाए थे, इससे नाराज होकर किसान ने रकम मनी ऑर्डर के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेज दी थी। इसके बाद खबर आई थी कि किसान की रकम को प्रधानमंत्री कार्यालय ने लेने इनकार कर दिया और किसान से रकम को डिजिटल माध्यम से भेजने के लिए कहा गया। पिछले साल अप्रैल में वाराणसी के कई किसानों ने आरोप लगाया था कि 2003 में ट्रांसपोर्ट नगर योजना के लिए करीब 1200 किसानों की खेती योग्य जमीन से उन्हें जबरन बेदखल कर वाराणसी विकास प्राधिकरण के नाम कर दी गई थी। अपना हक वापस पाने के लिए कई किसानों ने अपने खून से पीएम मोदी को पत्र लिखे थे।

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