RBI की नाराजगी सार्वजनिक होने से सरकार खफा, उर्जित पटेल को मान रही जिम्‍मेदार

हाल ही में रिजर्व बैंक और सरकार के बीच मतभेद की खबरें सामने आयी थीं। अब खबर है कि सरकार, रिजर्व बैंक द्वारा इसे सार्वजनिक किए जाने से नाराज है। सरकार को अंदेशा है कि देश के केन्द्रीय बैंक और सरकार के बीच मतभेद की खबरें सार्वजनिक हो जाने से निवेशकों में देश की छवि खराब होगी और इसका असर देश में होने वाले निवेश पर पड़ सकता है। बता दें कि बीते शुक्रवार को रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने ‘ए डी श्रॉफ मेमोरियल लेक्चर’ के दौरान रिजर्व बैंक की स्वायतत्ता बरकरार रखने संबंधी बयान दिया था। विरल आचार्य ने इस दौरान कहा था कि यदि सरकार केन्द्रीय बैंक की स्वायतत्ता का सम्मान नहीं करेगी, तो यह भविष्य में वित्तीय बाजार की अनियमितता और तेज आर्थिक विकास के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है।

ऐसी खबरें हैं कि सरकार रिजर्व बैंक पर कुछ बैंकों को लेंडिंग नियमों में छूट देने का दबाव बना रही है। इसके साथ ही सरकार देश में पेमेंट सिस्टम के लिए एक अलग रेग्युलेटर बनाने की संभावना पर विचार कर रही है। बता दें कि अभी तक देश में पेमेंट सिस्टम का रेग्युलेशन रिजर्व बैंक के पास ही है। ऐसे में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के बयान को इसी मुद्दे से जोड़कर देखा जा रहा है। विरल आचार्य ने कुछ बैंकों को लेंडिंग नियमों में छूट देने के सरकार द्वारा बनाए जा रहे दबाव पर कहा कि इस फैसले से कैपिटल मार्केट में भरोसे का संकट पैदा हो सकता है। आचार्य ने कहा कि ब्याज दरों में कमी, बैंक कैपिटल और लिक्विडिटी में ज्यादा छूट देना अल्पकाल में क्रेडिट क्षमता, मुद्रास्फिति को भले ही बढ़ावा दे दे, लेकिन लंबे समय में यह देश के आर्थिक विकास के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। विरल आचार्य ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि सरकार द्वारा टी20 मैच की तरह फैसले लेना वित्तीय अनियमित्ता को बढ़ावा देगा, जबकि रिजर्व बैंक टेस्ट मैच की तरह फैसले लेता है और सेशल दर सेशन जीत हासिल करने पर फोकस करता है।

सोमवार को रायटर्स से बातचीत में सरकार के कुछ शीर्ष अधिकारियों ने पहचान जाहिर ना करने की शर्त पर बताया कि सरकार और आरबीआई के बीच जो भी हुआ, उसे गोपनीय रखा जाना चाहिए था। सरकार आरबीआई की स्वायतत्ता की इज्जत करती है, लेकिन उसे भी सरकार की जिम्मेदारियां समझनी चाहिए। पीएमओ ऑफिस के एक अधिकारी ने बताया कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि रिजर्व बैंक इस मामले को जनता के बीच ले गया है। सरकार इससे काफी नाराज है। आरबीआई से ऐसी उम्मीद नहीं थी। सरकारी अधिकारियों का मानना है कि इस विवाद की जिम्मेदारी आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को लेनी चाहिए। अब उन्हें बिल्कुल ये उम्मीद नहीं करना चाहिए कि उनका कार्यकाल बढ़ाया जाएगा, जो कि अगले साल सितंबर में खत्म हो रहा है। उल्लेखनीय है कि विरल आचार्य ने अपने बयान के दौरान कहा था कि वह इस मुद्दे पर चर्चा गवर्नर उर्जित पटेल की ‘सलाह’ के बाद ही कर रहे हैं।

एक अधिकारी ने कहा कि उर्जित पटेल को मोदी सरकार ने ही नियुक्त किया था और शुरुआत में उन्होंने केन्द्र सरकार के साथ सहयोग भी किया। लेकिन जब आगामी चुनावों को देखते हुए सरकार पर देश की अर्थव्यवस्था को लेकर निशाना साधा जा रहा है, तब ऐसे वक्त में आरबीआई भी तनाव बढ़ा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि जब सरकार बाहरी मोर्चों जैसे क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतें, व्यापारिक तनाव के चलते दबाव में है, तब सरकार घरेलू मोर्चे पर भी कोई विवाद सरकार के बिल्कुल पक्ष में नहीं है।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*