जीएसटी को लागू हुए एक साल पूरा हो गया। देश के सबसे बड़े कर सुधार के गवाह बने व्यापारी और कारोबारी अभी भी इसकी पेचीदगियां झेल रहे हैं। लघु एवं मध्यम उद्योगों में सिर्फ जीएसटी के कारण ही 20 से 30 फीसदी उत्पादन में कमी बताई जा रही है।
इसके पीछे बड़ी वजह वस्तु के उत्पादन के लिए पहले से दिए गए टैक्स का रिफंड समय पर नहीं मिलना है। इस स्थिति में एक साल बाद भी कोई सुधार नहीं है। कानपुर, कानपुर देहात और उन्नाव जिले में 10 हजार से अधिक उत्पाद यूनिटें लगी हुई हैं। यहां पर दो हजार से अधिक विभिन्न तरह के निर्यातक भी कारोबार में सक्रिय हैं।
उत्पादक और निर्यातक वस्तु के उत्पादन अथवा निर्यात करने में जिस टैक्स का भुगतान कर चुके होते हैं वस्तु की बिक्री के बाद उसका रिफंड सरकार की ओर से दिया जाता है। यह रिफंड इनपुट टैक्स क्रेडिट और इंटीग्रेटेड जीएसटी के रूप में होता है। जीएसटी में कारोबारियों की सबसे बड़ी परेशानी रिफंड न मिलना है। सैकड़ों कारोबारियों का रिफंड कई महीने से लटका है।
रिफंड पखवाड़े से नहीं मिला लाभ
बीते दिनों में रिफंड पखवाड़ा भी मनाया गया लेकिन खामियों और पेचीदगियों की वजह से हर कोई इसका लाभ नहीं उठा सका। वर्तमान में एक हजार से अधिक छोटे बड़े कारोबारियों का करीब चार सौ करोड़ रुपये रिफंड में फंसा हुआ है। इसमें सेंट्रल जीएसटी कानपुर कार्यालय के अधीन आते छह डिवीजनों में ही करीब 350 करोड़ रुपये का रिफंड नहीं हो सका है।
इसी तरह कस्टम और स्टेट जीएसटी में करीब 50 करोड़ के रिफंड फंसे हैं। जबकि व्यवस्था ये है कि 90 फीसदी रिफंड सात दिन के भीतर जारी किया जाना है। अधिकारी इस पर अमल नहीं कर रहे।
छोटे कारोबारी ज्यादा परेशान
रिफंड न मिलने से छोटे कारोबारियों का और भी बुरा हाल है। कारोबार की कार्यशील पूंजी डंप हो रही है। नया उत्पादन करने के लिए कारोबारियों को अतिरिक्त धन की व्यवस्था करनी पड़ रही है। धन की व्यवस्था करने के लिए कोई लोन के लिए चक्कर लगा रहा है तो कोई माल उधार ले रहा है। दरअसल रिफंड पाने के लिए निश्चित अवधि में आवेदन करने की बाध्यता भी है। बड़ी संख्या में छोटे व्यापारी इस अवधि में आवेदन कर ही नहीं पाते।
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