जेडीयू के उपाध्यक्ष बने प्रशांत किशोर, रणनीतिकार से राजनीतिज्ञ बनने का ऐसा है सफर

जनता दल (यूनाईटेड) अध्यक्ष नीतीश कुमार ने मंगलवार को प्रशांत किशोर को पार्टी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया. इस नियुक्ति से किशोर एक तरह से पार्टी में दूसरे सबसे ताकतवर नेता बन गए हैं. चुनावी रणनीतिकार के रूप में कई पार्टियों के लिए काम कर चुके किशोर हाल ही में बिहार में सत्ताधारी पार्टी में शामिल हुए थे.

किशोर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है. जद(यू) प्रवक्ता के सी त्यागी ने बताया कि किशोर की नियुक्ति से पार्टी को अपना जनाधार व्यापक बनाने में मदद मिलेगी. दो दिन पहले पटना में हुए छात्र संगम में भी प्रशांत किशोर नीतीश के साथ थे.

पटना में 16 सिंतबर को हुई जेडीयू कार्यकारिणी की बैठक में भी किशोर शामिल हुए थे. अब वह 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए जेडीयू की रणनीतियां बनाएंगे. प्रशांत किशोर एक ऐसी शख्सियत हैं, जिनकी चर्चा सफल राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में होती रही है. 16 सितंबर को जेडीयू की सदस्यता ग्रहण कर प्रशांत किशोर अब रणनीतिकार न होकर राजनीतिज्ञ हो चुके हैं और राजनीति की डगर प्रशांत किशोर ने बिहार से शुरू करने का ऐलान भी कर दिया है.

प्रशांत किशोर सबसे ज्यादा चर्चित 2014 के लोकसभा में मोदी की जीत के बाद हो पाए थे. बीजेपी के वरिष्ठ नेता के मुताबिक प्रशांत किशोर जैसे मिनिमम 10 रणनीतिकार बीजेपी और मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की रणनीति बनाने में जुटे थे लेकिन बीजेपी के बड़े नेताओं को प्रशांत किशोर की मीडिया में बढ़े हुए कद का अंदाजा तब लगा जब प्रशांत किशोर को जीत का श्रेय कई मीडिया हाउसेज ने अपनी रिपोर्ट में दिया.

बड़ी दिलचस्प है नरेंद्र मोदी से प्रशांत किशोर की पहली मुलाकात 

यहां इस बात का जिक्र भी दिलचस्प होगा कि आखिर प्रशांत किशोर और नरेंद्र मोदी की मुलाकात कैसे हुई! दरअसल अफ्रीका में यूनीसेफ के लिए काम करने वाले प्रशांत किशोर की मुलाकात तब गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी से एक कार्यक्रम के दौरान हुई जिसका मुख्य विषय स्वास्थ्य था.

प्रशांत किशोर ने इस कार्यक्रम में अपना प्रजेंटेशन भी दिया था. एक दिन मोदी के आवास पर अपने बोरिया बिस्तर के साथ वो पहुंच गए और उनके लिए काम करने की इच्छा जताई. ये वाकया भी बड़ा दिलचस्प है कि मोदी जैसे मंझे हुए नेता को उन्होंने अपनी बात से कैसे इंप्रेस किया और उनके आवास को ही अपना कार्यालय बना लिया.

प्रशांत किशोर का रसूख गुजरात की राजनीति में बढ़ने के पीछे अहम कारण यह भी था कि वो मुख्यमंत्री के घर में रहकर ही काम कर रहे थे और साल 2012 के गुजरात चुनाव के कैंपेन की मॉनिटरिंग भी कर रहे थे. 2012 के बाद उनकी इमेज राजनीतिक गलियारों में एक उभरते हुए सामानांतर पावर सेंटर के रूप में बनने लगी. और वो ये संदेश देने में कामयाब भी रहे.

बाद में प्रशांत किशोर एक नए रास्ते की तलाश में जुट गए. 2015 में बिहार के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का हाथ थामकर उनके लिए रणनीति बनाने में जुट गए. जाहिर है इस बारे में वो जानते थे कि अगर बाजी उनके हाथ लगी तो देश में कुशल रणनीतिकार के रूप में वो स्थापित हो जाएंगे.

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*