राजस्‍थान चुनाव: कांग्रेस में शामिल होंगे जसवंत सिंह के बेटे, लोकसभा चुनाव लड़ेंगे

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह ने आखिरकार अपनी राजनीतिक दिशा तय कर तय कर ली है। उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय लिया है। करीब 22 दिन पहले भाजपा छोड़ने वाले मानवेंद्र सिंह शिव विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2013 में विधायक चुने गए थे। वे लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे थे। हिंदुस्तान टाईम्स की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को उन्होंने सभी संभावनाओं और चर्चाओं को विराम देते हुए यह साफ कर दिया कि वे कांग्रेस पार्टी के साथ अपनी राजनीतिक पारी की नई शुरूआत करेंगे। उनसे पूछा गया कि, ‘क्या उनकी पत्नी चित्रा सिंह और मां शीतल कंवर भी कांग्रेस में शामिल होंगी?’ मानवेंद्र सिंह ने कहा, “पेड़-पौधे सब।” लेकिन जसवंत सिंह के शामिल होने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, “नहीं। पेड़-पौधे सब कहने का अर्थ एक मजाक है।” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनके भाई भी कांग्रेस पार्टी में शामिल होंगे। उनके परिवार के सभी लोग पार्टी का समर्थन करेंगे।

मानवेंद्र सिंह ने 22 सितंबर को राजपूतों के सम्मान में आयोजित ‘स्वाभिमान रैली’ के दौरान भाजपा से अलग होने की घोषणा की थी। उनके द्वारा कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा पर एआईसीसी के राजस्थान के महासचिव अविनाश पांडेय ने कहा, “सिर्फ मानवेंद्र सिंह ही नहीं, बल्कि कई सारे वरिष्ठ नेता कांग्रेस के संपर्क में हैं और वे पार्टी में शामिल होना चाहते हैं। लेकिन पार्टी सोच-विचार कर इस पर फैसला लेगी।

मानवेंद्र सिंह ने यह साफ नहीं किया है कि वे कांग्रेस पार्टी में कब शामिल होंगे। लेकिन अपुष्ट जानकारी के अनुसार, वे 17 अक्टूबर को कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं। मानवेंद्र सिंह की इच्छा अब विधानसभा से लोकसभा में जाने की है। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव लड़ने संबंधी एक सवाल के जवाब में मानवेंद्र सिंह कहते हैं, “इच्छा है।” वहीं, चर्चा यह भी है कि विधानसभा चुनाव में मानवेंद्र सिंह अपनी पत्नी को कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतारेंगे। हालांकि, इस बात को सिरे से खारिज करते हुए मानवेंद्र कहते हैं, “इस बात पर किसी तरह की चर्चा ही नहीं हुई है।” यह पूछे जाने पर ‘यदि पार्टी टिकट देगी तो उनकी पत्नी चुनाव लड़ेंगी?’ के जवाब में वे कहते हैं, “मैंने भविष्य नहीं देखा है।”

बता दें कि जसवंत सिंह 1980 में भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। लेकिन करीब चार दशक बाद उनके परिवार ने भाजपा से रिश्ते समाप्त कर दिए। लेकिन यह रिश्ता यूं ही अचानक समाप्त नहीं हुआ है। 2014 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिले के बाद से से जसवंत सिंह का परिवार नाराज था। कई मौकों पर यह नाराजगी खुलकर दिखी थी।

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