लॉ कमीशन ने की मैच फिक्सिंग पर कानून बनाने और सट्टेबाजी को कानूनी जामा पहनाने की सिफारिश, तो क्या आधार कार्ड और पैन कार्ड के जरिए लगेगा क्रिकेट के मैचों पर सट्टा!

भारत मे भले ही सट्टेबाजी को गैरकानूनी माना जाता है लेकिन क्रिकेट समेत बाकी कई खेलों के मुकाबलों के दौरान सट्टेबाजी के कई मामले सामने आते रहे हैं. सट्टेबाजी के तार अक्सर मैच फिक्सिंग से भी जुड़ते रहे हैं और ऐसे मामले में फंस कर आईपीएल जैसे बड़े टूर्नामेंट के दो टीम चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स पर दो साल की पाबंदी भी लगी है.

हमारे देश सट्टेबाजी तो गैरकानूनी है लेकिन खेलों में फिक्सिंग को रोकने के लिए कोई विशेष कानून नहीं है. अब इन दोनों मामलो को अलग करने के लिए लॉ कमीशन ने सिफरिश की है. गुरुवार को कमीशन ने अपनी 276वीं रिपोर्ट में सिफारिश की है कि सट्टेबाजी को कानूना जामा पहनाया जाए और मैच फिक्सिंग को रोकने के लिए अलग के कानून बनाया जाए.

क्या है सिफारिश

आयोग की रिपोर्ट ‘लीगल फ्रेमवर्क : गैंबलिंग एंड स्पोर्ट्स बेटिंग इनक्लूडिंग क्रिकेट इन इंडिया ’ में सट्टेबाजी के नियमन के लिए और इससे कर राजस्व अर्जित करने के लिए कानून में कुछ संशोधनों की सिफारिश की गयी है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘संसद सट्टेबाजी के नियमन के लिए एक आदर्श कानून बना सकती है और राज्य इसे अपना सकते हैं या वैकल्पिक रूप में संसद संविधान के अनुच्छेद 249 या 252 के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए विधेयक बना सकती है. यदि अनुच्छेद 252 के तहत विधेयक पारित किया जाता है तो सहमति वाले राज्यों के अलावा अन्य राज्य इसे अपनाने के लिए स्वतंत्र होंगे.’

आयोग ने सट्टेबाजी या जुए में शामिल किसी व्यक्ति का आधार या पैन कार्ड भी लिंक करने की और काले धन का इस्तेमाल रोकने के लिए नकदी रहित लेन-देन करने की भी सिफारिश की है.

इसके साथ ही आयोग ने मैच फिक्सिंग और स्पोर्ट्स फ्रॉड को आपराधिक मामला बनाकर इसमें कड़ी सजा के प्रावधान की भी वकालत की है.

फिक्सिंग को लेकर भारत में किसी विशेष कानून की गैर मौजूदगी में अब तक मैच फिक्सिंग के जितने भी मामले सामने आए हैं उनमें अभियुक्तों पर अन्य कानूनों की धाराएं लगाई जाती हैं जिनमें सबूतों के अभाव मे ज्यादातर अभियुक्त बरी हो जाते हैं. ऐसे में देखना होगा कि अब सरकरी लॉ कमीशन की इस सिफारिश पर क्या रुख अपनाती है.

 

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