महिला सुरक्षा को लेकर द थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के सर्वे को भले ही केंद्र की बीजेपी सरकार ग़लत बता रही हो, लेकिन इस सर्वे में कितनी सच्चाई है इसका अंदाज़ा मध्य प्रदेश के रेप के ताज़ा आंकड़ों से लगाया जा सकता है।
अमर उजाला की ख़बर के मुताबिक, मध्य प्रदेश में पिछले 120 दिन में 1,554 रेप की घटनाएं हुईं। साल 2018 में एक जनवरी से 30 अप्रैल तक महिलाओं और नाबालिगों से 1,554 ज्यादती के मामले दर्ज किए जा चुके हैं। यानी प्रदेश में हर दिन करीब 13 रेप की घटनाएं हो रही हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, इन चार महीनों में सबसे ज्यादा भोपाल में 105 रेप के केस दर्ज किए गए हैं। इसके बाद इंदौर में 82, जबलपुर में 72 और ग्वालियर में 69 मामले सामने आए हैं। यह आंकड़े द थॉमसन रॉयटर्स के सर्वे को ग़लग ठहराने वालों के लिए ज़रूर चौंकाने वाले हो सकते हैं।
लेकिन रेप के मामलों में मध्य प्रदेश के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए इसपर ज़्यादा चौंकना भी ठीक नहीं। बात पिछले साल की करें तो 2017 में ज्यादती के 5,310 मामले अलग-अलग थानों दर्ज किए गए थे। आंकड़ों का विश्लेषण करें तो हर दिन ज्यादती की लगभग 15 घटनाएं हुईं। पांच हजार का आंकड़ा पार करने वाला मध्य प्रदेश देश में पहला राज्य है।
सूबे में महिलाओं की सुरक्षा के लिए डायल-100 से लेकर मैत्री मोबाइल, शक्ति स्क्वाड, महिला पीसीआर, वी केयर फॉर यू, महिला थाना व अन्य फोरम जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। लेकिन इसके बावजूद मध्य प्रदेश रेप के मामले में देश का नंबर वन राज्य है।
मध्य प्रदेश में बीजेपी की 15 सालों से सरकार है। बीजेपी महिला सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे भी करती है और ‘बेटी बचाओ’ जैसे नारे बुलंद करती है। लेकिन आंकड़ों पर ग़ौर करें तो मध्य प्रदेश में हर साल रेप के मामलों में बढ़ौतरी हुई है। ऐसे में यह कहना मुश्किल नहीं कि राज्य की शिवराज सरकार रेप की वारदातों को रोकने में नाकाम रही है।
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