दलित कानून के फैसले पर रोक लगाने से SC का इनकार, अगली सुनवाई 16 मई को

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एससी/एसटी मामले में अपने पूर्व के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. यह फैसला दलित कानून के तहत महज आरोपों के आधार पर किसी की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से जुड़ा है.

केंद्र सरकार यह आरोप लगाती रही है कि दलित कानून में संशोधन वाला फैसला विधायिका के कार्यों में दखलंदाजी है और यह नया कानून लिखने जैसा है. इस मामले में अगली सुनवाई 16 मई को होगी.

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से अनुसूचित जाति-जनजाति कानून संबंधी अपने फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह दलित अधिकारों के संरक्षण और उनके खिलाफ अत्याचार के दोषियों को दंडित करने की हिमायती है.

जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस उदय यू ललित की बेंच ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने इस मामले में कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ऐसे नियम या दिशानिर्देश नहीं बना सकती जो विधायिका की ओर से पारित कानून के विपरीत हों. दलित कानून के तहत तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधान पर रोक लगाने के आदेश पर पुनर्विचार की मांग करते हुए केंद्र ने दो अप्रैल को शीर्ष न्यायालय का रुख किया था. सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि शीर्ष अदालत का 20 मार्च का फैसला दलितों के लिए संविधान की धारा 21 का उल्लंघन करता है. साथ ही उन्होंने कानून के प्रावधानों की बहाली की मांग की थी.

शीर्ष अदालत ने 20 मार्च को कहा था कि ‘कई मौकों पर’, मासूम लोगों को आरोपी बताया जाता है और जन सेवकों को काम करने से रोका जाता है जो कि दलित कानून बनाते समय विधायिका की मंशा नहीं थी.

 

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