रिलीज हुई ‘102 नॉट आउट’

महानायक अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर स्टारर फिल्म ‘नॉट आउट 102’ रिलीज हो गई है, फिल्म में बिग बी और ऋषि कपूर की एक्टिंग देखने लायक है, इन दोनों के अलावा फिल्म की जान जिमित त्रिवेदी भी हैं। फिल्म के डायलॉग्स काफी मजेदार हैं, फिल्म की कहानी है बाप-बेटे और नालायक पोते की। फिल्म सौम्या जोशी द्वारा लिखे गए एक गुजराती प्ले पर आधारित है। ये एक पारिवारिक फिल्म है। दत्तात्रया वखारिया (अमिताभ बच्चन) 102 साल का शख्स है और अपने बेटे बाबूलाल वखारिया (ऋषि कपूर) के साथ रहता है। बाबूलाल की उम्र 75 साल की है। बाप जितना जिंदादिल बेटा उतना ही गंभीर। इन दोनों के बीच एंट्री होती है धीरू (जिमित त्रिवेदी) की। जो दवाई की दुकान पर काम करता है लेकिन दत्तात्रया का फैन होता है। बाबूलाल हालांकि धीरू को कुछ खास पसंद नहीं करता है, लेकिन दोनों के बीच केमेस्ट्री फिल्म बढ़ने का साथ सुधर जाती है। दत्तात्रया, बाबूलाल और धीरू की जिंदगी पटरी पर चल रही होती है, कि अचानक दत्तात्रया ठान लेते हैं कि वो सबसे ज्यादा उम्र का होकर मरेंगे और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराएंगे। ज्यादा उम्र के लिए उन्हें अपने आस-पास पॉजिटिव लोग चाहिए होते हैं, इसके लिए वो अपने बेटे को वृद्धाआश्रम भेजने की ठान लेते हैं। बाबूलाल वृद्धाआश्रम जाने के लिए तैयार नहीं होते हैं और इसके लिए अपने पिता दत्तात्रया की शर्तें पूरी करते हैं। असली कहानी यहीं से शुरू होती है। दत्तात्रया अपने बेटे बाबूलाल को फिर से जीना सिखाते हैं। इस बीच एक और किरदार है, जिसका नाम आप बार-बार सुनेंगे और वो है ‘अमोल’, जो अमेरिका में जा बसा है और बाबूलाल का बेटा है।वो अपने पिता और दादा जी से कोई वास्ता नहीं रखता है और शायद इसी वजह से बाबूलाल जीना भूल चुके होते हैं। बाबूलाल को दोबारा जीना सिखाने में धीरू भी दत्तात्रया की मदद करता है। दत्तात्रया की शर्तों में पहली शर्त होती है कि बाबूलाल अपनी मरी हुई पत्नी के लिए लवलेटर लिखे। फिल्म में हंसना और रोना बराबरी का है। अमोल की जो करतूतें सामने आती हैं उससे ‘बागबान’ फिल्म की याद भी थोड़ी ताजा हो जाती है। बागबान में अमिताभ जिस रोल में थे इस फिल्म में ऋषि कपूर वैसे ही कुछ रोल में हैं। बाबूलाल अपने बेटे को पढ़ाने पैर पर खड़ा करने के लिए एक-एक पैसा खर्च कर देते हैं, लेकिन अमोल अमेरिका में शादी भी कर लेता और अपनी मां की मौत तक लौटकर नहीं आता है।इसके बाद क्या कुछ होता है, कैसे दत्तात्रया अमोल को सबक सिखाते हैं और क्या वो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल हो पाते हैं, इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी। इस फिल्म को देखने के कई कारण हैं, फिल्म की स्क्रिप्ट, डायरेक्शन, मुंबई की अलग खूबसूरती, 27 साल बाद सिल्वर स्क्रीन पर अमिताभ और ऋषि कपूर की जोड़ी, अमिताभ, ऋषि और जितिन त्रिवेदी की एक्टिंग, एक अच्छा मैसेज।फिल्म के डायलॉग्स काफी मजेदार हैं, फिल्म की कहानी है बाप-बेटे और नालायक पोते की। फिल्म सौम्या जोशी द्वारा लिखे गए एक गुजराती प्ले पर आधारित है। ये एक पारिवारिक फिल्म है। दत्तात्रया वखारिया (अमिताभ बच्चन) 102 साल का शख्स है और अपने बेटे बाबूलाल वखारिया (ऋषि कपूर) के साथ रहता है। बाबूलाल की उम्र 75 साल की है। बाप जितना जिंदादिल बेटा उतना ही गंभीर। इन दोनों के बीच एंट्री होती है धीरू (जिमित त्रिवेदी) की। जो दवाई की दुकान पर काम करता है लेकिन दत्तात्रया का फैन होता है। बाबूलाल हालांकि धीरू को कुछ खास पसंद नहीं करता है, लेकिन दोनों के बीच केमेस्ट्री फिल्म बढ़ने का साथ सुधर जाती है।

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