भारत-चीन: मोदी-शी मुलाकात से सुधरेंगे दोनों देशों के बीच के संबंध, डोकलाम विवाद से बाहर आने में मिलेगी मदद

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस हफ्ते के आखिर में होने वाली अप्रत्याशित शिखर बैठक की घोषणा से ऐसा लगता है कि इसने अचानक भारत-चीन संबंधों को पटरी पर ला दिया है।
व्यापार और वाणिज्य को लेकर दुनियाभर में संरक्षणवादी नीति की ओर बढ़ने के बीच प्रतिष्ठत नेता माओ जेडोंग से ताल्लुकात रखनेवाले मध्य चीन के शहर वुहान दोनों नेताओं की आगवानी करेंगे। जहां वे यांगटेज नदी के किनारे घूमेंगे, मंथन करेंगे और सड़क समेत द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करेंगे।
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी विवादित सीमा है। दोनों देशों के बीच मतभेद की कई वजह है, जैसे- सीमा विवाद, तिब्बत के धर्मगुरू दलाई लामा को शरण देना और इस्लामाबाद के बीजिंग के साथ घनिष्ठ संबंध होने के साथ ही दक्षिए एशिया में चीन का बढ़ता दबदबा। इसके चलते भारत चीन का संबंध काफी जटिल हो चुका है।
ऐसा माना जा रहा है कि यह शिखर बैठक मतभेदों पर चर्चा हो सकती है लेकिन यह पूरी तरीके से आर्थिक चीजों से जुड़े मुद्दे पर केन्द्रित रहेगी। दोनों देशों के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वांग यी ने बैठक के बाद जब इस बात की घोषणा की तो वे इसको लेकर काफी सकारात्मक थे। पीएम मोदी और राष्ट्रपति जि की बीच यह बैठक शुक्रवार और शनिवार को होगी।
सुषमा के साथ बैठे चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा- “इससे ना सिर्फ दोनों देशों और लोगों का फायदा होगा बल्कि इसका क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व विकास पर भी सकारात्मक और महत्वपूर्ण असर पड़ेगा।” उन्होंने आगे कहा- “यह दोनों देशों के बीच अनिवार्य तौर पर इच्छा रही कि वे लंबे समय तक दोस्त बने रहे, आपसी सहयोग और विकास में एक दूसरे के मददगार हो।”

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