गुजरात हाईकोर्ट ने 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले में दायर अपीलों पर शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने माया कोडनानी को बरी कर दिया है. कोर्ट ने गुजरात की मोदी सरकार में मंत्री रहीं कोडनानी को निर्दोष करार दिया है. 11 गवाहों में किसी ने भी कोडनानी का नाम नहीं लिया. इसके अलावा कोर्ट ने माया कोडना के पर्सनल एस्सिटेंट किरपला सिंह छाबड़ा को भी बरी कर दिया है. हाई कोर्ट ने पीड़ितों द्वारा दायर की गई मुआवजे की मांग की याचिका भी ठुकरा दी है.
2002 Gujarat riots case (Naroda Patiya): Out of the 32 convicts in the case, Gujarat High court acquitted 17 people including Maya Kodnani; conviction of 12 was upheld, verdict on 2 others awaited, 1 accused is dead.
— ANI (@ANI) April 20, 2018
दंगों की साजिश में कोडनानी की भूमिका साबित नहीं हो सकी. लेकिन बाबू बजरंगी की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी गई है. साथ ही कोर्ट ने सबूतों के अभाव में गनपत छारा को भी बरी कर दिया है. नरोदा पाटिया दंगों में 97 लोगों की जान गई थी.
न्यायमूर्ति हर्षा देवानी और न्यायमूर्ति ए एस सुपेहिया की पीठ ने मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद पिछले साल अगस्त में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. अगस्त 2012 में एसआईटी मामलों के लिए विशेष अदालत ने राज्य की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी समेत 32 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
कोडनानी को 28 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी. एक अन्य बहुचर्चित आरोपी बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी को मृत्यु पर्यंत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. सात अन्य को 21 साल के आजीवन कारावास और शेष अन्य को 14 साल के साधारण आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. निचली अदालत ने सबूतों के अभाव में 29 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था.
जहां दोषियों ने निचली अदालत के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी, वहीं विशेष जांच दल ने 29 लोगों को बरी किये जाने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
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