मुश्किल नहीं बच्चे को सुलाना, बदल सकते है उनकी सोने-जागने की आदतें

हर नई मां के लिए रात को पूरी नींद सोना किसी सपने से कम नहीं होता । मगर बच्चे के रात में बार-बार जागने के कारण यह संभव नहीं हो पाता है। छोटे बच्चे थोड़ी-थोड़ी देर में जागते हैं, उन्हें अपने हिसाब से सुलाना या जगाना मुश्किल होता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चों में जन्म के पहले साल में जो आदतें पड़ जाती हैं, वह जीवनभर उनके साथ रहती हैं। ऐसे में उनमें जीवनशैली से जुड़ी अच्छी आदतें डालना हर अभिभावक के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता है।
नवजात बच्चों की सोने-जागने संबंधी मामलों की परामर्शदाता लूसी वोल्फ का कहना है कि बच्चों में सोने और जागने की आदतें बनाने के लिए उनके पैटर्न को दो हिस्सों में बांटना चाहिए। एक जन्म से छह माह और दूसरा छह माह के बाद। छह माह का होने के बाद उनमें कुछ आदतों का विकास शुरू करना चाहिए। इसमें समय पर सोने और समय से जागने की आदत सबसे अहम है।
लूसी का कहना है कि बच्चों को सुलाने के लिए एक सुकून देने वाला वातावरण बनाना चाहिए। पालने या झूले में झुलाते हुए या टहलाते हुए उन्हें सुलाएं, कोई आरामदेह कंबल ओढ़कर सोने की आदत डालें या कोई सुकूनभरा संगीत भी उन्हें सोने में मदद कर सकता है। इसके अलावा उनके मुंह में कुछ डमी भी डाल सकते हैं, जिसे लेने के बाद उन्हें आराम की नींद आ जाए। संगीत के लिए कोई खिलौना हो या कोई अन्य उपकरण भी हो सकता है।
इस समय तक बच्चों में रात की नींद का एक समय निर्धारित होने लगता है। साथ ही उनका दिन में सोने का भी एक तरीका विकसित हो जाता है। ऐसे में उन्हें एक निर्धारित समय पर सोने और जागने की आदत विकसित करनी चाहिए। रात को सोने का समय आठ से 10 बजे के बीच और सुबह जागने का समय छह से साढ़े सात के बीच होना चाहिए।
बच्चे अपनी सब बातें सांकेतिक भाषा में समझाते हैं, जरूरत है आपके समझने की। उसके सोने और जागने की जरूरतों को समझें और उसी के हिसाब से उसके सोने और जागने के समय का निर्धारण करें। सोने से 10 या 20 मिनट पहले आपका बच्चा थका हुआ लगने लगेगा, इस समय सुलाने का नियम बनाने से वह रात में बार-बार जागेगा नहीं।
बच्चे के सोने का कमरा और आसपास का माहौल शांत होना चाहिए, ताकि शोर या तेज आवाजों से उसकी नींद न खराब हो। मोबाइल फोन जैसी चीजों को सोते समय बच्चों से दूर रखना चाहिए। आप चाहें तो अपने बच्चे के लिए सोने का कमरा भी अलग कर सकती हैं।
अगर बच्चे का पेट भरा हुआ है तो उसे अपने आप सोने की आदत डालें। ऐसा करने से बच्चा खुद ब खुद अपने समय पर सोने लगेगा। इससे भविष्य में भी उसके लिए अच्छा होगा और वह अपनी चीजों के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहेगा। उसे अगर कोई समस्या है तो, भावनात्मक सहयोग के लिए आपको उसके साथ जरूर रहना चाहिए।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*