BJP का ‘U’ टर्न, संसद में कहा, ‘कश्मीर में धारा 370 को खत्म करने का कोई प्रस्ताव नहीं’

2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो वह जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली संविधान की धारा 370 को खत्म कर देगी. बीजेपी ने अपनी इस चुनावी घोषणा पर नरम रुख अपना लिया है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर ने मंगलवार (27 मार्च) को लोकसभा में इसकी जानकारी दी। बता दें कि इस धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा हासिल है। गौरतलब है कि केंद्र व राज्य में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) हमेशा से धारा 370 को समाप्त करने की वकालत करती आ रही है।

There is currently no such proposal under consideration of the Government: MoS Home Hansraj Ahir’s written reply in Lok Sabha on question of scrapping article 370(which gives special status to J&K)

गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर बीजेपी सांसद अश्विनी कुमार के एक सवाल का जवाब दे रहे थे जिमसें कुमार ने पूछा था कि क्या सरकार संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करना चाहती है? अहीर ने इसी सवाल के लिखित जवाब में कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।

हरियाणा के करनाल से बीजेपी सांसद कुमार ने साथ ही पूछा था कि अभी अनुच्छेद 370 की मौजूदा स्थिति क्या है? बता दें कि बीजेपी की घोषणापत्र में भी धारा 370 को खत्म करना शामिल है। जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ गठबंधन की सरकार चला रही बीजेपी अभी इस मसले चुप है।

 

जम्मू-कश्मीर के लिए केंद्र के विशेष दूत दिनेश्वर शर्मा के बयान पर कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और गौरव गोगोई के एक अलग सवाल के जवाब में अहीर ने कहा पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे सीजफायर उल्लंघन के देखते हुए शर्मा ने हाल में ही सीमावर्ती इलाकों का दौरा किया था और स्थानीय लोगों के लिए कुछ उपाय बताए थे। इसमें स्थानीय निवासियों को वहां से शिफ्ट करना और उनके लिए बंकर बनाना शामिल था।

अहीर ने कहा कि सरकार जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित करना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार इसके लिए सभी क्षेत्र के लोगों से बातचीत को उत्सुक है ताकि राज्य में हिंसा रोकी जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार युवाओं को राज्य की मुख्यधारा में लाने के लिए नीतियों को बढ़ा रही है। इसमें युवाओं को आंतक से दूर रखने के लिए उन्हें रोजगार के मौके उपलब्धन कराना भी शामिल है।

 

अनुच्छेद 370
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक `अस्‍थायी प्रबंध` के जरिए जम्मू और कश्मीर को एक विशेष स्वायत्ता वाला राज्य का दर्जा देता है. भारतीय संविधान के भाग 21 के तहत, जम्मू और कश्मीर को यह `अस्‍थायी, परिवर्ती और विशेष प्रबंध` वाले राज्य का दर्जा हासिल होता है. भारत के सभी राज्यों में लागू होने वाले कानून भी इस राज्य में लागू नहीं होते हैं. मिसाल के तौर पर 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था.

संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू कराने के लिए केंद्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए. जम्मू और कश्मीर के लिए यह प्रबंध शेख अब्दुल्ला ने वर्ष 1947 में किया था. शेख अब्दुल्ला को राज्य का प्रधानमंत्री महाराज हरि सिंह और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नियुक्त किया था। तब शेख अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 को लेकर यह दलील दी थी कि संविधान में इसका प्रबंध अस्‍थायी रूप में ना किया जाए। उन्होंने राज्य के लिए कभी ना टूटने वाली, `लोहे की तरह स्वायत्ता` की मांग की थी, जिसे केंद्र ने ठुकरा दिया था.

 

 

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