मुंबई में आयकर विभाग ने 3200 करोड़ रुपये के टीडीएस घोटाले का पता लगाया है। इस मामले में 447 कंपनियों पर टीडीएस घोटाले का आरोप लगा है। आरोप है कि 447 कंपनियों ने अपने कर्मचारियों से टीडीएस तो काट लिया, लेकिन पैसे को सरकार के खाते में जमा नहीं करवाया।
पीएनबी घोटाला सामने आने के बाद एक के बाद एक लगातार नये-नये घोटाले सामने आ रहे हैं। अब मुंबई के आयकर विभाग ने 3200 करोड़ रुपये के टीडीएस घोटाले का पर्दाफाश किया है। इस मामले में 447 कंपनियों पर टीडीएस घोटाले का आरोप लगा है। आरोपों के मुताबिक, इन कंपनियों ने कर्मचारियों का टीडीएस तो काटा, लेकिन पैसे को सरकार के खाते में जमा कराने के बजाय अपने कारोबार में इस्तेमाल कर लिया। यह मामला अप्रैल, 2017 से मार्च, 2018 के बीच का है।
घोटाला सामने आने के बाद आरोपी कंपनियों के खिलाफ आयकर विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, मामले में आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी किए जा चुके हैं। आरोपी कंपनियों में फिल्म प्रोडक्शन हाउस और इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियां शामिल हैं।
आयकर कानूनों के तहत घोटाले के इस जुर्म में न्यूनतम 3 महीने सश्रम कारावास और जुर्माने के साथ अधिकतम 7 साल कैद की सजा का प्रबंध है। ऐसे मामलों में धारा 276 बी के तहत मुकदमा चलाया जाता है। धोखाधड़ी में शामिल 447 कंपनियां मुख्यतः प्रोडक्शन हाउस, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टार्ट-अप्स, फ्लाई बाई नाइट ऑपरेटर्स जैसे बिजनेस में शामिल हैं। हाल में पारित बजट में सरकार ने 3 हजार रुपए तक टैक्स देनदारी वाली कंपनियों को छूट देने से इनकार कर दिया है।
पहले 3 हजार रुपए तक टैक्स देने वाली कंपनियों को इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल नहीं करना होता था। सरकार ने इस बार सभी कंपनियों को आईटीआर देने का प्रावधान कर दिया है। यह कानून 1 अप्रैल 2018 से अस्तित्व में आएगा। फिलहाल 15 लाख कंपनियां कॉरपोरेट मंत्रालय के तहत रजिस्टर्ड हैं। जिनमें महज 7 लाख कंपनियां ही रिटर्न फाइल करती हैं। लगभग 8 लाख कंपनियां रिटर्न फाइल नहीं करतीं और दावा करती हैं कि उनकी देनदारी 3 हजार रुपए से कम है, इसलिए आईटीआर के लिए वे बाध्य नहीं हैं। कर अधिकारियों की मानें तो फर्जीवाड़े में शामिल 447 कंपनियों में अधिकांश शेल कंपनियां हैं जिनका मकसद टैक्स चुराना है।
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