योगी सरकार के मंत्री, विधायक ही करा रहे सरकार की किरकिरी

उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर और अनिल राजभर. दोनों उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री. दोनों पूर्वी उत्तर प्रदेश से और दोनों की जाति एक यानी राजभर और दोनों इन दिनों अपने बयानों से सरकार की किरकिरी करवा रहे. यूपी में दस माह पुरानी भाजपा सरकार में अपनों के बीच सब ठीक न चलने की खबरें है।

ओमप्रकाश राजभर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष हैं और विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठजोड़ कर लड़े. जिन आठ सीटों पर उनकी पार्टी के उम्मीदवार लड़े उनमें चार पर उन्हें जीत भी मिल गई. जीतने वालों में खुद ओमप्रकाश राजभर भी शामिल थे. दरअसल ओमप्रकाश राजभर और उनकी पार्टी ने पहली बार चुनावी जीत का स्वाद चखा. ओबीसी में शुमार राजभरों की पूर्वी यूपी के कई इलाकों में खासी संख्या है ।

ओमप्रकाश राजभर ने करीब दो दशक पहले अलग पार्टी बनाई और इस वोट बैंक को साधने की कोशिश की। इन समीकरणों को देख कर ही बीजेपी ने 2017 में राजभर से चुनावी गठबंधन किया। इसका फायदा दोनों को मिला. बीजेपी ने ओमप्रकाश राजभर को कैबिनेट मंत्री बनाया लेकिन वे ज्यादातर वक्त अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले रहे हैं। गाजीपुर के जिलाधिकारी का तबादला न होने पर इस्तीफे की धमकी देने, निकाय चुनावों में बीजेपी के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारने, शराब और मुर्गे की दावत देने से वोट हासिल करने का विवादित बयान देने के बाद अब उन्होंने सरकार के खिलाफ नया मोर्चा खोला है।

वाराणसी में सार्वजनिक मंच से उन्होंने कहा कि योगी सरकार में भ्रष्टाचार पहले से बढ़ा है. जहां समाजवादी पार्टी और बीएसपी सरकारों में थानों में केस लिखवाने के लिए 500 रुपए की रिश्वत देनी पड़ती थी वह अब बढ़कर पांच हजार रुपए हो गई है।

 

2019 के लोकसभा चुनावों को मद्देनज़र रखते हुए बीजेपी नेतृत्व यह संदेश देने से बचना चाहता है कि यूपी में सहयोगी दलों से उसकी तकरार है लिहाजा पार्टी के बड़े नेता ओमप्रकाश राजभर के ताजा बयान पर संभल कर बयान दे रहे हैं । यही कह रहे हैं कि गठबंधन धर्म का पालन करते हुए संयम बरतना चाहिए लेकिन सरकार के एक जूनियर मंत्री ने ताल ठोंक दी है। ये हैं अनिल राजभर. योगी सरकार में राज्य मंत्री। ये बीजेपी के टिकट पर पूर्वांचल से विधायक चुने गए और मंत्री बने।

ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन्होंने कहा है कि बीजेपी के दम पर चुनाव जीतने और मंत्री बनने वाले ओमप्रकाश दरअसल पूरे राजभर समाज को गुमराह कर रहे हैं ।अनिल खुलेआम कह रहे हैं कि ओमप्रकाश राजभर यह न समझें कि अकेले वे ही बिरादरी की नुमाइंदगी करते हैं। दरअसल वे अपने बेटे को लोकसभा का टिकट दिलाने व बीजेपी के समर्थन से जीत दिलाने के लिए दबाव की राजनीति कर रहे हैं. बात बयानबाजी तक ही सीमित रहती तो भी बीजेपी के लिए राहत की बात थी लेकिन अनिल राजभर ने अब ऐलान किया है कि वे पूर्वांचल में रैलियां और सभाएं कर ओमप्रकाश राजभर का पर्दाफाश करेंगे।

ऐसा वाकई हुआ तो लोकसभा के चुनावों से पहले बीजेपी नेतृत्व और योगी सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा होना तय है. अनिल ने ओमप्रकाश के खिलाफ रैलियां की तो स्वाभाविक रूप से सुभासपा के कार्यकर्ता भी बीजेपी के खिलाफ मुखर होंगे। हालांकि ओमप्रकाश राजभर के सरकार से अलग हो जाने या गठबंधन छोड़ देने से योगी सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन लोकसभा चुनावों से पहले सत्तारूढ़ गठबंधन के दो दलों में सार्वजनिक खटास से और भद्द पिटेगी.

सरकार की समस्या इन दो मंत्रियों की बयानबाजी तक ही सीमित नहीं है। भदोही जिले की औराई से भाजपा के विधायक दीनानाथ भाष्कर ने भी बढ़ते भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाते हुए जिला प्रशासन के खिलाफ धरना देने की घोषणा कर दी तो औरैया के विधायक रमेश दिवाकर ने 24 जनवरी को यूपी दिवस के मौके पर हुई सभा में खुलेआम आरोप लगाया कि सरकार के अभी तक के कार्यकाल में कोई काम नहीं हुआ ।

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