नीति आयोग पर भड़के चिदंबरम, कहा- बंद हो ये बेकार की संस्था, नीति आयोग ने यूपीए कार्यकाल के जीडीपी ग्रोथ में संशोधन किया है

नीति आयोग ने बुधवार को कांग्रेस के नेतृत्व की यूपीए सरकार के वक्त के जीडीपी वृद्धि के आंकड़े जारी किए थे. इसमें नीति आयोग ने संशोधन किया है, जिससे उस वक्त के जीडीपी ग्रोथ में कमी आई है. इसके बाद पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम नीति आयोग पर खूब जमकर बरसे हैं.

उन्होंने नीति आयोग पर यूपीए सरकार की छवि और कामों को छिन्न-भिन्न करने का आरोप लगाया है. उन्होंने एक साथ कई ट्वीट करके नीति आयोग के इस रिपोर्ट को बदतर मजाक से भी बुरा बताया है.

यहां तक कि उन्होंने नीति आयोग को बंद करने की मांग भी की है.

चिदंबरम ने ट्वीट करके लिखा है कि यूपीए कार्यकाल के जीडीपी आंकड़ों को संशोधन करना बदतर मजाक से भी बुरा है. नीति आयोग ने यूपीए सरकार पर हमला किया है. अब जो उन्होंने अपना काम कर लिया है, तो अब इस बेकार की संस्था को बंद कर देना चाहिए.

चिदंबरम ने ये भी कहा कि पूर्व सांख्यिकीविद् प्रणब सेन बिल्कुल सही थे कि नीति आयोग का डेटा बनाने से कोई लेना-देना नहीं है. मुझे उत्सुकता है ये जानने की कि नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार पत्रकारों को ये कहने के बजाय कि, उनके सवाल जवाब के लायक नहीं हैं, इस डेटा पर बहस करना पसंद करेंगे?

बुधवार को नीति आयोग के संशोधित आंकड़े जारी करने के बाद कांग्रेस ने आयोग पर जमकर हमला बोला था. कांग्रेस ने कहा था कि मोदी सरकार आंकड़ों में हेराफेरी कर रही है. पार्टी ने इसे पिछले 15 सालों के कांग्रेस के कार्यकाल के विकास को झुठलाने का प्रयास बताया.

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इसे एक ‘क्लासिक’ मामला बताया जिसमें ऑपरेशन तो सफल रहा लेकिन मरीज की मौत हो गई.

उन्होंने एक बयान में कहा, ‘जीडीपी के संबंध में जारी आंकड़े पिछले 15 साल में भारत की विकास की कहानी में गड़बड़ी करने के मोदी सरकार के प्रयास को दिखाते हैं. मोदी सरकार और उसका कठपुतली नीति आयोग चाहता है कि लोग मान लें 2+2 =8 होता है.’ उन्होंने कहा कि पुराने आंकड़ों के नाम पर दिखावा, बाजीगरी, चालबाजी और छल-कपट बेचा जा रहा है.

कांग्रेस के दावों और आरोपों पर फिलहाल भारतीय जनता पार्टी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है.

बता दें कि सरकार ने बुधवार को यूपीए सरकार के 10 साल के कार्यकाल के अधिकांश सालों के जीडीपी में वृद्धि दर के आंकड़ों को घटा दिया है. इससे यूपीए सरकार के कार्यकाल के उस एकमात्र वर्ष के आंकड़ों में भी एक प्रतिशत से अधिक कमी आई है जब देश ने दो अंकों वृद्धि दर्ज की थी. इसके अलावा 9 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर वाले तीन सालों के आंकड़ों में भी एक प्रतिशत की कमी आई है.

सरकार ने आंकड़ों को 2004- 05 के आधार वर्ष के बजाय 2011- 12 के आधार वर्ष के हिसाब से संशोधित किया गया है, ताकि अर्थव्यवस्था की अधिक वास्तविक तस्वीर सामने आ सके.

नीति आयोग की ओर से जारी ताजा संशोधित आंकड़ों के अनुसार 2010-11 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रही थी. जबकि इसके पहले 10.3 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया था.

इसी तरह 2005-06 और 2006-07 के 9.3- 9.3 प्रतिशत के वृद्धि दर के आंकड़ों को घटाकर क्रमश: 7.9 और 8.1 प्रतिशत किया गया है. इसी तरह 2007-08 के 9.8 प्रतिशत के वृद्धि दर के आंकड़े को घटाकर 7.7 प्रतिशत किया गया है. संशोधित वृद्धि दर के आंकड़े 2019 के आम चुनाव से पहले जारी किए गए हैं.

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