उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा था कि प्रस्ताव में दिए गए 5 आरोपों को जांचा परखा गया, इन आरोपों के आधार पर चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव नहीं बनता है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोक का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव खारिज करने के फैसले को कांग्रेस के राज्यसभा सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा और सांसद अमी हर्षदरे ने सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर एक याचिका दायर की है।
Two Congress Parliamentarians from Rajya Sabha- Pratap Singh Bajwa and Amee Harshadray Yajnik, approached the Supreme Court challenging Vice-President M Venkaiah Naidu's dismissal of the impeachment motion against CJI Dipak Misra pic.twitter.com/Lp7QFuDh3f
— ANI (@ANI) May 7, 2018
बीते 23 अप्रैल को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कांग्रेस द्वारा चीफ जस्टिस के खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को खारिज कर दी थी। महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा था, “मैंने प्रस्ताव में दिए गए सभी 5 आरोपों को अपने विवेक से जांचा परखा। प्रस्ताव में वर्णित पांचों आरोप के आधार पर महाभियोग का प्रस्ताव नहीं बनता है। इन आरोपों के आधार पर कोई भी समझदार व्यक्ति मुख्य न्यायाधीश को दुर्व्यहवहार का दोषी नहीं मान सकता।”
Both the Congress MPs claimed in their petition that once the initiation of removal motion is signed by the requisite number of MPs, the Vice-President has no option but shall constitute an Inquiry Committee to investigate the allegations against the CJI Dipak Misra
— ANI (@ANI) May 7, 2018
उपराष्ट्रपति द्वारा महाभियोग प्रस्ताव खारिज करने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा था, “सभापति महोदय ने दायरे से बाहर जा कर असंवैधानिक कदम उठाया है। यह एक ऐसा फैसला है जो पहले कभी किसी सभापति ने नहीं लिया। यह फैसला अपने आप में गैर कानूनी है, हम उनके फैसले को चुनौती देने के लिए निश्चित तौर पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे।
उपराष्ट्रपति द्वारा महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करने पर कानून के जानकारों ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने कहा था कि उपराष्ट्रपति द्वारा महाभियोग प्रस्ताव खारिज करने के लिए दिया गया आधार वैध नहीं है। वहीं वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा था, “उपराष्ट्रपति को सिर्फ यह देखना होता है कि प्रस्ताव पर 50 से अधिक सांसदों के हस्ताक्षर हैं या नहीं। उसके बाद 3 जजों की कमेटी इस पर फैसला करती। लेकिन 64 सांसदों के हस्ताक्षर होने के बाद भी प्रस्ताव खारिज होना आश्चर्यजनक है।”
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