CWG 2018:कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतने वाले हरियाणा के खिलाड़ी क्यों खफा हैं खट्टर सरकार से

गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों में भारत के जिस राज्य के एथलीट्स ने सबसे ज्यादा वाहवाही बटोरी वह राज्य है हरियाणा. भारत को मिले 66 मेडल्स में से एक तिहाई यानी 22 मेडल हरियाणा के एथलीट्स ने ही जीते हैं. इन एथलीट्स के शानदार शो की वजह से हरियाणा सरकार की खेल नीति की हर जगह चर्चा हुई लेकिन अब कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतने वाले हरियाणा के एथलीट्स को इस खेल नीति में खोट नजर आ रहा है और ये एथलीट्स अब राज्य सरकार के उस फंक्शन का बॉयकॉट करने का मन बना चुके हैं जिसमें इन मेडल जीतने वाले एथलीट्स को सम्मानित किया जाना है.

यह मसला एथलीट्स को दिए जाने वाले कैश अवॉर्ड का है. समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक जो एथलीट इस समारोह के बॉयकॉट करने का मन बनाए बैठे हैं उनमें गोल्ड कोस्ट के गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चौपड़ा, महिला रेसलर विनेश फोगाट और बॉक्स मनोज कुमार शामिल हैं.

दरअसल हरियाणा सरकार की पॉलिसी के मुताबिक कॉमनवेल्थ गेम्स मे गोल्ड मेडल जीतने पर 1.5 करोड़ रुपए, सिल्वर मेडल जीतने पर 75 लाख रुपए और ब्रॉन्ज मेडल जीतने पर 50 लाख रुपए का इनाम देने का प्रावधान है.

हरियाणा का सरकार की नई नीति के मुताबिक अगर कोई एथलीट रेलवे या सेना में काम करता है और उसे वहां से भी इनाम मिल चुका है तो फिर यह रकम उसकी इनामी राशि से काट ली जाएगी. यानी अगर कोई गोल्ड मेडल जीतने वाला एथलीट रेलवे में काम करता है तो फिर रेलवे से मिली 50 लाख रुपए की पुरस्कार राशि को काट कर उस एथलीट को हरियाणा सरकार बस एक करोड़ रुपए का इनाम ही देगी.

हरियाणा सरकार के इस फैसले से कई एथलीट नाराज हो गए हैं. बॉक्सर मनोज कुमार का तो यहां तक कहना कि ‘ऐसा लग रहा है जैसे सरकार हमारे इनाम में से जीएसटी काट रही हो.’

26 अप्रैल को राज्य के मुख्यमंत्री एमएल खट्टर की मौजूदगी में पंचकूला में होने वाले इस फंक्शन का बॉयकॉट करने वाले एथलीट्स में रेसलर बजरंग, बॉक्सर अमित पंघाल, गौरव सोलंकी और रेसलर किरण बिश्नोई भी शामिल हैं.

 

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