क्या है ताजमहल का इतिहास, कितने सालों में बनकर तैयार हुआ

बुधवार देर शाम आए आंधी तूफान ने आगरा में तबाही मचा दी। तूफान की वजह से 15 लोगों की मौत गई और 24 लोगों के घायल हो गए । इस तूफान ने जहां कई लोगों की जान ले ली तो वहीं काफी नुकसान भी किया। देर शाम आई आंधी और बारिश की वजह से ताजमहल की दो मीनारें गिर गईं। बताया जा रहा है कि तेज आंधी ने ऐसी तबाही मचाई की शाहगंज में मस्जिद की मीनार भी गिर गई और कई घरों की छतें भी टूट गईं। आंधी में इस तरह ताजमहल की मीनारों का गिरना एक बड़ा नुकसान माना जा रहा है। क्या आप जानते हैं ताजमहल को कैसे बनवाया गया था और इसका इतिहास क्या है।
ताजमहल शाहजहां की तीसरी बेगम मुमताज महल की मज़ार है। मुमताज के गुज़र जाने के बाद उनकी याद में शाहजहां ने ताजमहल बनवाया था। कहा जाता है कि मुमताज़ महल ने मरते वक्त मकबरा बनाए जाने की ख्वाहिश जताई थी जसके बाद शाहजहां ने ताजमहन बनावाया। ताजमहल को सफेद संगमरमर से बनवाया गया है। इसके चार कोनों में चार मीनारे हैं। शाहजहां ने इस अद्भूत चीज़ को बनवाने के लिए बगदाद और तुर्की से कारीगर बुलवाए थे। माना जाता है कि ताजमहल बनाने के लिए बगदाद से एक कारीगर बुलवाया गया जो पत्थर पर घुमावदार अक्षरों को तराश सकता था।इसी तरह बुखारा शहर से कारीगर को बुलवाया गया था, वह संगमरमर के पत्थर पर फूलों को तराशने में दक्ष था। वहीं गुंबदों का निर्माण करने के लिए तुर्की के इस्तम्बुल में रहने वाले दक्ष कारीगर को बुलाया गया और मिनारों का निर्माण करने के लिए समरकंद से दक्ष कारीगर को बुलवाया गया था। और इस तरह अलग-अलग जगह से आए करीगरों ने ताजमहल बनाया था। ई. 1630 में शुरू हुआ ताजमहल के बनने के काम करीब 22 साल तक चला। इसे बनाने में करीब 20 हजार मजदूरों ने योगदान दिया। यमुना नदी के किनारे सफेद पत्थरों से निर्मित अलौकिक सुंदरता की तस्वीर ‘ताजमहल’ आज ना केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है। प्यार की इस निशानी को देखने के लिए दूर देशों से हजारों सैलानी यहां आते हैं।

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