देश में गोरक्षा के नाम पर हिंसा और अफवाहों के बाद मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं के बीच सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि भीड़ द्वारा हिंसा को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है। चाहे कोई भी हो, उसे कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं है। ऐसी घटनाओं को रोकने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर है।
गोरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी और भीड़ द्वारा लोगों को पीट-पीटकर मार दिए जाने की घटनाओं को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। लेकिन साथ ही कहा है कि कोई कानून को हाथ में नहीं ले सकता, ऐसे मामलों पर रोक लगाना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।
मॉब लिंचिंग और गोरक्षा के नाम पर हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट विस्तृत दिशानिर्देश जारी कर सकता है। गौरतलब है कि राजनीतिक कार्यकर्ता तहशीन पूनावाला और सामाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी ने गोरक्षा के नाम पर बढ़ती गुंडागर्दी और हमलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि भीड़ द्वारा हिंसा की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए विस्तृत आदेश की आवश्यकता है। इस आदेश में हिंसा पीडि़तों के मुआवजे और जांच की निगरानी का प्रावधान किया जा सकता है।
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