GSAT 7A आज शाम होगा लांच, इंटरनेट को मिलेगी रफ्तार, भारतीय वायुसेना को बड़ी सौगात

भारत के अब तक के सबसे भारी-भरकम उपग्रह ‘जीसैट-11’ को सफलतापूर्वक लॉन्च करने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) बुधवार (19-दिसंबर-2018) को एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करने जा रहा है। इसरो बुधवार की शाम को देश का 35वां संचार सेटेलाइट जीसैट-7ए लांच करने जा रहा है। भारतीय वायुसेना के लिए ये सेटेलाइट काफी अहम है। जानें क्या है इस संचार सेटेलाइट की खासियतें और आपको क्या मिलेगा लाभ। इसरो के मुताबिक संचार सेटेलाइट जीसैट-7ए को उपग्रह प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-एफ-11 के जरिए श्रीहरिकोटा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे स्टेशन से लॉच करेगा। इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इसरो ने पांच दिसंबर को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एरियानेस्पेस के फ्रेंच गुआना से संचाल सेटेलाइट जीसैट-11 के सफल प्रक्षेपण के बाद ही अपनी 35वीं संचार सेटेलाइट ‘जीसैट-7ए’ के प्रक्षेपण की घोषणा कर दी थी। इसरो के अनुसार दिसंबर माह में लॉच हो रहे दोनों संचार सेटेलाइट देश में संचार सुविधाएं बेहतर करेंगे। इसका सबसे ज्यादा लाभ इंटरनेट यूजर्स को मिलेगा। माना जा रहा है कि इससे इंटरनेट की रफ्तार तेज होगी। जीसैट-7ए भारतीय क्षेत्र में केयू बैंड में उपयोगकर्ताओं को संचार क्षमता प्रदान करेगा। इसरो ने मंगलवार सुबह से जीसैट-7ए के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती (काउंट डाउन) शुरू कर दिया है। इसरो के अनुसार इस सेटेलाइट मिशन की अवधि आठ साल होगी।
1. इसरो (ISRO) अध्यक्ष डॉ के. सीवन ने मीडिया को बताया, “यह अत्याधुनिक सैटेलाइट है, जिसे ज़रूरतों के हिसाब से बनाया गया है। यह सबसे दूरदराज के इलाकों में भी हाथ मे पकड़े जाने वाले उपकरणों तथा उड़ते उपकरणों से भी संपर्क कर सकता है।”
2. इस सेटेलाइट से भारतीय वायुसेना को वह ताकत मिलेगी, जिसकी उसे बहुत ज़रूरत है। भारतीय वायुसेना (IAF) को इससे इन्टीग्रेटेड एयर कमांड तथा हवाई लड़ाकों के लिए कंट्रोल सिस्टम में संचार का एक ताकतवर पहलू जुड़ जाएगा। अब तक IAF ट्रांसपॉन्डर किराये पर लिया करती थी, जिसकी जासूसी करना आसान था।
3. भारतीय नौसेना के पास सिर्फ उसके इस्तेमाल के लिए एक सैटेलाइट GSAT-7 पहले से है, जिसे ‘रुक्मणि’ भी कहा जाता है। इसे 2013 में लॉन्च किया गया था। GSAT-7 नौसेना को हिन्द महासागर क्षेत्र में ‘रीयल-टाइम सिक्योर कम्युनिकेशन्स कैपेबिलिटी’ उपलब्ध कराता है। इससे विदेशी ऑपरेटरों द्वारा संचालित उपग्रहों के भरोसे रहने की ज़रूरत खत्म हो जाती है, जिन पर नज़र रखा जाना आसान होता है।
4. हाल में रक्षा मंत्रालय ने विशेष ‘डिफेंस स्पेस एजेंसी’ के गठन को मंज़ूरी दी थी। ये तीनों सेनाओं की इन्टीग्रेटेड (एकीकृत) इकाई होगी। साथ ही अंतरिक्ष में मौजूद सभी भारतीय संपत्ति का इस्तेमाल सशस्त्र सेनाओं के लाभ के लिए करेगी।
5. GSAT-7 और GSAT-6 के साथ मिलकर GSAT-7A संचार उपग्रहों का एक बैन्ड तैयार करेगा, जिससे भारतीय सेना को संचार व्यवस्था में काफी मदद मिलेगी।
6. देश के पास रीजनल सैटेलाइट नैविगेशन सिस्टम भी है, जो मिसाइलों को सटीक निशाने साधने में मदद करता है।
7. यह ISRO का वर्ष 2018 का रिकॉर्ड 17वां मिशन है। श्रीहरिकोटा से ये 69वां रॉकेट लॉन्च हो रहा है। भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इन्सैट) प्रणाली, पृथ्वी की कक्षा (Geo-Stationary Orbit) में स्थापित नौ प्रचलनात्मक संचार उपग्रहों सहित एशिया पेसिफिक क्षेत्र में सबसे बड़े घरेलू संचार उपग्रहों में से एक है। इन्सैट-1बी से शुरूआत करते हुए इसकी स्थारपना 1983 में की गई। इसने भारत के संचार क्षेत्र में एक महत्व्पूर्ण क्रांति की शुरूआत की तथा बाद में भी इसे बरकरार रखा। वर्तमान में प्रचलनात्म क संचार उपग्रह हैं इन्सैट-3ए, इन्सैट-3सी, इन्सैट-3ई, इन्सैट-4ए, इन्सैट-4बी, इन्सैट-4सीआर, जीसैट-6, जीसैट-7, जीसैट-8, जीसैट-9, जीसैट-10, जीसैट-12, जीसैट-14, जीसैट-15, जीसैट-16 व जीसैट-18। सी, विस्तासरित सी. तथा केयू बैण्डोंग में 200 से ज्यादा ट्रांसपाउंडर्स सहित यह प्रणाली दूर संचार, दूरदर्शन, प्रसारण, उपग्रह समाचार संग्रहरण, सामाजिक अनुप्रयोग, मौसम पूर्वानुमान, आपदा चेतावनी तथा खोज और बचाव कार्यों में सेवाएं दे रही हैं।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*