उत्तराखंड निकाय चुनावों (uttarakhand nikay chunav) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिग्गज ही अपने गढ़ में पस्त हो गए। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और तीन कैबिनेट मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशियों की नैया पार नहीं लगा पाए। इससे भाजपा के विजय रथ की गति धीमी पड़ गई।
भाजपा ने निकाय चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों को जिताने के लिए बाकायदा कैबिनेट मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन सत्ता पाने के पौने दो साल के भीतर ही नेताओं के क्षेत्रों में विजय पताका नहीं लहरा सकी। भाजपा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत व प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट की अगुवाई में चुनाव मैदान में कूदी, लेकिन भट्ट के गृह जनपद अल्मोड़ा की सीट चिलियानौला में पार्टी हार गई।
भट्ट रानीखेत के हैं और विधानसभा चुनाव भी इसी सीट से लड़ते आए हैं। निकाय चुनावों में पार्टी ने चिलियानौला (रानीखेत) नगर पंचायत में अध्यक्ष पद पर विमला आर्य को टिकट दिया था, पर यहां निर्दलीय उम्मीदवार कल्पना देवी 109 मतों से जीतने में कामयाब रहीं। इस सीट पर कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं उतारा था। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के विस क्षेत्र डोईवाला नगर पालिका में पार्टी प्रत्याशी नगीना रानी हार गईं। यहां कांग्रेस की प्रत्याशी सुमित्रा देवी ने उन्हें शिकस्त दी।
गदरपुर विधानसभा से अरविंद पांडेय विधायक हैं और वे कैबिनेट मंत्री भी हैं। इस पालिका से भाजपा प्रत्याशी संतोष कुमार हार गए हैं। निर्दलीय गुलाम गौस ने भाजपा प्रत्याशी को मात दी है। कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र में भी भाजपा को हार का ही मुंह देखना पड़ा। यूं तो कैबिनेट मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत चुनावी रणनीति के माहिर माने जाते हैं, पर वे कोटद्वार में पार्टी प्रत्याशी नीतू रावत को हार से नहीं बचा पाए। हालांकि पार्टी के बड़े नेताओं ने निकाय चुनाव के नतीजों पर खुशी जताई है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि निकाय चुनाव में भाजपा राज्य में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है जबकि कांग्रेस को जनता ने नकार दिया है।
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