सरकार के इशारे पर काम नहीं किया तो मुझे हटा दिया : आलोक वर्मा

सरकार की ओर से जबरन छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में सीवीसी और केंद्र दोनों के खिलाफ अर्जी दाखिल की है. वर्मा ने अपनी याचिका में कहा है सीवीसी और केंद्र दोनों ने रातोंरात उन्हें सीबीआई के डायरेक्टर के पद से हटाने का फैसला कर लिया. यह दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट (DSPE) एक्ट के सेक्शन 4B के खिलाफ है.

वर्मा ने कहा है कि वह कई मामलों में ब्योरे पेश कर सकते हैं. ये मामले बेहद संवेदनशील हैं. शायद इन्हीं मामलों की वजह ये हालात पैदा हुए हैं. वर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि सीबीआई को स्वतंत्र रहने दिया जाए. उन्होंने कहा कि यह स्थिति इसलिए पैदा हुई कई आला हस्तियों के खिलाफ जांच उस दिशा में नहीं जा रही थी, जिस दिशा में सरकार चाह रही थी. उन्होंने अस्थाना पर वार करते हुए कहा कि उन्होंने कई जांचों में गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश की और उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए फर्जी सबूत जुटाना चाहा.

सरकार ने लगाया आरोप,आलोक वर्मा जांच में सहयोग नहीं कर रहे

इधर, सरकार का कहना है कि आलोक वर्मा अपने खिलाफ जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. सरकार ने बुधवार को दावा किया कि वर्मा केंद्रीय सतर्कता आयोग का सहयोग नहीं कर रहे थे. एजेंसी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के खिलाफ ‘भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों’ की वजह से एक ‘असाधारण और अभूतपूर्व’ स्थिति बन गई थी. सीबीआई आपसी विवाद चरम पर पहुंच गया है, जिससे इस प्रमुख संस्था की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा को गहरा आघात पहुंचा जबकि इसके अलावा संगठन में कामकाज का माहौल भी खराब हुआ है.

सरकार ने कहा कि सीवीसी को 24 अगस्त 2018 को एक शिकायत मिली थी, जिसमें सीबीआई के सीनियर अफसरों पर कई आरोप लगाए गए थे. सीवीसी ने सीवीसी अधिनियम, 2003 की धारा 11 के तहत 11 सितंबर को तीन नोटिस जारी कर सीबीआई डायरेक्टर को आयोग के सामने फाइलें और दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा था.

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