भारत और फ़्रांस के बीच हुए रफ़ाल सौदे को लेकर खोजी ख़बरों की वेबसाइट ‘मीडियापार्ट’ ने नई जानकारी सार्वजनिक की है.
मीडियापार्ट ने डासो एविएशन के आंतरिक दस्तावेज़ों के हवाले से लिखा है कि फ़्रांसीसी कंपनी डासो के पास रिलायंस डिफ़ेंस से समझौता करने के अलावा कोई और विकल्प ही नहीं था. ये उनके लिए आवश्यक सौदा था.
59 हज़ार करोड़ रुपये के इस रफ़ाल सौदे में रिलायंस डिफ़ेंस डासो का मुख्य ऑफ़सेट पार्टनर है.
इससे पहले मीडियापार्ट को दिए एक इंटरव्यू में ही फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने बताया था कि किस तरह रिलायंस डिफ़ेंस को पार्टनर बनाने के लिए फ़्रांस सरकार को भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने कहा था.
उस वक़्त ओलांद से ये सवाल किया गया था कि क्या डासो एविएशन के पास किसी अन्य कंपनी का विकल्प नहीं था? तो ओलांद ने कहा था कि वो सिर्फ़ सरकार का पक्ष बता सकते हैं, विकल्प के बारे में डासो एविएशन ही विस्तार से बता सकती है.
Encore un coup de @karl_laske et @AnttonRouget.
Affaire des Rafale en Inde: un nouveau document accable Dassault https://t.co/08Yhzt4pBq— Michel Deléan (@michel_delean) October 10, 2018
ग़ौरतलब है कि तब डासो एविएशन ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा था कि रफ़ाल सौदा दो सरकारों के बीच हुआ है.
लेकिन नए दावों ने डासो के उस बयान पर सवाल खड़े कर दिये हैं और एक तरह से ओलांद के दावे की पुष्टि की है.
उधर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के अधिकारियों से मिलने की योजना बना रहे हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार राहुल गांधी 13 अक्तूबर को बेंगलुरु में एचएएल के अधिकारियों से मुलाक़ात करेंगे.
कांग्रेस पार्टी ये आरोप लगाती आई है कि रफ़ाल सौदे में भारत सरकार ने एचएएल को दरकिनार करके ही रिलायंस डिफ़ेंस को डासो का ऑफ़सेट पार्टनर बनाया है.
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