कच्चे तेल की वजह से रुपये में लगातार गिरावट और बाजार पर इसके प्रभाव से सरकार की चिंता बढ़ी है। ऐसे में केंद्र सरकार ने प्रवासी भारतीयों के लिए आकर्षक जमा योजना ला सकती है, ताकि भारी मात्रा में डॉलर जुटाकर रुपये पर दबाव कम किया जाए। सरकार सॉवरेन बॉंड भी जारी सकती है। आरबीआई कच्चे तेल के बदले डॉलर में भुगतान के लिए तेल कंपनियों को विशेष विंडो भी मुहैया करा सकता है।
बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के अनुसार, चालू खाते का घाटा इस वित्तीय वर्ष में 75 अरब डॉलर हो सकता है, यह जीडीपी के 2.8 फीसदी के बराबर होगा। यह 2013 के बाद सबसे बड़ा घाटा होगा। ऐसे में सरकार के लिए वित्तीय घाटे को 3.3 फीसदी तक रखना मुश्किल हो
कच्चा तेल पिछले नौ माह में 64 से 85 डॉलर प्रति बैरल पहुंच चुका है और इसके सौ डॉलर तक पहुंचने की आशंका है। अमेरिकी दबाव के बावजूद रूस और ओपेक देश तेल आपूर्ति बढ़ाने को तैयार नहीं दिख रहे हैं, जबकि ईरान पर चार नवंबर से प्रतिबंध लागू हो जाएंगे।
अमेरिका में ब्याज दर में लगातार बढ़ोतरी से भी डॉलर मजबूत हो रहा है। इस कारण विदेशी निवेशक रिकॉर्ड 9.1 अरब डॉलर भारतीय स्टॉक और बॉंड से निकाल चुके हैं। विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब डॉलर के नीचे आ गया है। केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते एसी, फ्रिज समेत 19 गैरजरूरी वस्तुओं पर आयात शुल्क दस से 15 फीसदी तक बढ़ा दिया था, ताकि व्यापार घाटे और रुपये को काबू में किया जा सके। हालांकि त्योहारी मांग के चलते इसका असर नहीं पड़ने की संभावना है।
चार माह में छह रुपये टूटी भारतीय मुद्रा-
67.03 : 02 जून
68.15 : 14 जून
69.00 : 04 जुलाई
70.68 : 15 अगस्त
71.14 : 30 अगस्त
72.08 : 07 सितंबर
73.34 : 03 अक्तूबर
सेंसेक्स में इस साल की बड़ी गिरावट-
537 अंक : 24 सितंबर को
509 अंक : 11 सितंबर 2018 को
468 अंक : 10 सितंबर को
510 अंक : 16 मार्च को
561 अंक : 06 फरवरी
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