ट्रंप-किम 12 जून को सिंगापुर के सेंटोसा द्वीप में मिलेंगे, सुरक्षा चाखचौबंद

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आज कहा कि उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन के साथ 12 जून को होने वाली शिखर वार्ता की तैयारियां बहुत अच्छी चल रही हैं। सिंगापुर ने मंगलवार को ऐतिहासिक शिखर वार्ता के लिए सेंटोसा आईलैंड पर्यटक रिजॉर्ट को नामित किया। इसके एक दिन बाद राष्ट्रपति का यह बयान आया है। दुनियाभर के 2,500 से अधिक पत्रकार शिखर वार्ता को कवर करेंगे।
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में एक कार्यक्रम में कहा , ” उत्तर कोरिया शिखर वार्ता की तैयारियां अच्छी चल रही है। रिश्ते काफी हद तक मजबूत हुए हैं। यात्रा से पहले काफी बातचीत चल रही है। ऐसा लग रहा है कि बातचीत अच्छी चल रही है। नसिंगापुर में होने वाली शिखर वार्ता के मद्देनजर अमेरिका और उत्तर कोरिया के कई दल लगातार बैठक कर रहे हैं।
ट्रंप ने कहा , ” देखते हैं क्या होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, आने वाले दिन काफी महत्वपूर्ण होंगे। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे उत्तर कोरिया के साथ अमेरिका की बैठक पर ट्रंप से बातचीत करने के लिए इस सप्ताह व्हाइट हाउस आएंगे। विदेश विभाग के फॉगी बॉटम मुख्यालय पर विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने सिंगापुर के अपने समकक्ष से मुलाकात की जिसमें उन्होंने अन्य मुद्दों के साथ उत्तर कोरियाई शिखर वार्ता पर भी चर्चा की जिसकी मेजबानी सिंगापुर करेगा।
मीडिया में आ रही खबरों का खंडन करते हुए विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नोर्ट ने कहा कि सिंगापुर में उत्तर कोरियाई प्रतिनिधिमंडल के ठहरने पर आने वाले खर्च का भुगतान अमेरिका नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा , ” हम उनके खर्चें का भुगतान नहीं कर रहे हैं। नोर्ट ने कहा , ” हमारे दल हर दिन ना केवल असैन्यीकृत क्षेत्र में बातचीत कर रहे हैं बल्कि सिंगापुर में भी बातचीत हो रही है। इस बीच , शीर्ष रिपब्लिकन सीनेटर मार्को रुबियो ने कहा कि सिंगापुर शिखर वार्ता महज एक प्रक्रिया की शुरुआत है और इससे कुछ ठोस नतीजा नहीं निकलेगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या ट्रंप रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और किम जोंग उन के बीच बैठक का समर्थन करते हैं। इस पर सैंडर्स ने कहा कि अभी प्रशासन का ध्यान राष्ट्रपति की उत्तर कोरियाई नेता के साथ बैठक पर है। उन्होंने कहा कि जब हम सिंगापुर में होंगे तो राष्ट्रपति उनसे सीधे अपने विचार साझा करेंगे और हमारा मुख्य ध्यान परमाणु हथियारों को खत्म करने पर होगा।
उत्तर कोरिया पर अधिकतम दबाव बनाने की नीति पर एक सवाल के जवाब में सैंडर्स ने कहा कि प्योंगयांग को लेकर अमेरिका की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारी नीति नहीं बदली है। जैसा कि राष्ट्रपति ने कहा कि हमने उन पर प्रतिबंध लगा रखे हैं। वे बहुत शक्तिशाली हैं और जब तक उत्तर कोरिया परमाणु हथियार मुक्त क्षेत्र नहीं बनेगा तब तक हम प्रतिबंध नहीं हटाएंगे।
शिखर वार्ता से पहले डेमोक्रेटिक पार्टी के शीर्ष सीनेटरों ने डोनाल्ड ट्रंप से आग्रह किया कि वह उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों को पूरी तरह से खत्म करने की मांग करें। सीनेटरों ने इस संबंध में ट्रंप को एक चिट्ठी लिखी है। यह खत राष्ट्रपति ट्रंप और किम की संभावित शिखर वार्ता से पहले आया है। इसमें पांच सिद्धांतों का जिक्र है जिसके आधार पर सीनेटर, राष्ट्रपति द्वारा उत्तर कोरिया के साथ किए गए किसी भी समझौते का मूल्यांकन करेंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग के बीच होने वाली शिखर वार्ता की सुरक्षा की जिम्मेदारी नेपाल के गोरखा जवान करेंगे। गोरखा को दुनिया के सबसे खतरनाक योद्धा माना जाता है। हालांकि दोनों नेताओं के साथ उनकी अपनी सुरक्षा टीम होगी लेकिन इसके बावजूद सिंगापुर पुलिस और गोरखा जवानों पर भी इस सम्मेलन की सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा होगा।
सिंगापुर पुलिस की छह पैरामिलिट्री कंपनियों में 1800 गोरखा जवान हैं
गोरखा जवान सिंगापुर में खास मौकों पर ही नजर आते हैं।
इन्हें नेपाल की दूरदराज की पहाड़ियों से भर्ती किया गया है।
गोरखा जवानों के पास बेल्जियम निर्मित एफएएन एससीएआर असॉल्ट राइफल्स और पिस्टल्स जैसे अडवांस्ड हथियार हैं। लेकिन इसके बावजूद गोरखा बिना खुखरी (धारदार चाकू) के युद्ध की तैयारी नहीं करते। यह गोरखा जवानों का पारंपरिक और पसंदीदा हथियार है। ऐसा माना जाता है कि गोरखा खुखरी निकाल लेता है तो वह खून बहाए बिना नहीं मानता। शांगरी ला होटल में भी तैनात थे
हाल ही में शांगरी-ला होटल में हुई सुरक्षा मुद्दे पर कॉन्फ्रेंस के दौरान गोरखा जवान तैनात थे। इस कॉन्फ्रेंस में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस और अन्य देशों के नेता शामिल थे।
गोरखा सैनिकों का पश्चिम के साथ पहला संपर्क 1814-16 में तब हुआ जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने नेपाल के खिलाफ लड़ाई लड़ी। हालांकि इस लड़ाई का अंत अंग्रेजों की जीत के साथ हुआ लेकिन गोरखा जवानों ने उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया। गोरखाओं की युद्धक्षमता से प्रभावित अंग्रेजों ने इनकी भर्ती ब्रिटिश सेना में शुरू कर दी। अब गोरखा ब्रिटिश, भारतीय, नेपाली सेना में सेवा दे रहे हैं। इसके अलावा वे ब्रूनेई और सिंगापुर की सुरक्षाबलों का भी हिस्सा हैं।

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