रिजर्व बैंक अपनी डिजिटल करेंसी लाने पर विचार कर रहा है, बिटक्वाइन पर भी रोक लगाई

 

रिजर्व बैंक अपनी डिजिटल करेंसी लाने पर विचार कर रहा है। साथ ही गुरुवार को आरबीआई ने बिटक्वाइन तथा अन्य आभासी मुद्राओं में कारोबार करने वाले बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों आदि को तत्काल प्रभाव से आभासी मुद्राओं में कारोबार नहीं करने की हिदायत दी है।
केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की दो दिवसीय बैठक के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर बी.पी. कानूनगो ने बताया कि केंद्रीय बैंक अपनी डिजिटल करेंसी लाने पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि भुगतान उद्योग के तेजी से बदलते परिदृश्य, निजी डिजिटल टोकनों के आने और कागज के नोट या सिक्कों के प्रबंधन से जुड़े खर्च बढ़ने के मद्देनजर दुनिया भर में कई केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा लाने पर विचार कर रहे हैं। केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी की संभावनाओं के अध्ययन और इनके लिए दिशा-निर्देश तय करने के लिए आरबीआई ने एक अंतर-विभागीय समिति बनायी है। समिति जून के अंत तक अपनी रिपोर्ट देगी। उन्होंने कहा कि बिटक्वाइन जैसी डिजिटल मुद्राओं की रीढ़ ब्लाकचेन या वितरित लेजर प्रौद्योगिकी है। उनका व्यापक अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्व है और हमें इसे अपनाने की जरूरत है। डिप्टी गवर्नर ने कहा कि हमारा यह भी मानना है कि अर्थव्यवस्था के लाभ के लिये उसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की दो दिवसीय बैठक के बाद विकास एवं नियामक नीतियों पर जारी बयान में कहा गया है कि तत्काल प्रभाव से यह फैसला लिया गया है कि आरबीआई द्वारा नियमित कोई भी संस्थान (बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, भुगतान बैंक आदि) आभासी मुद्राओं में कारोबार नहीं करेगा। साथ ही आभासी मुद्रा में कारोबार करने वाले किसी भी व्यक्ति या कारोबारी को वह सेवाएं भी नहीं देगा। जो संस्थान अभी आभासी मुद्रा में कारोबार कर रहे हैं उन्हें निश्चित समय सीमा के भीतर इससे निकलना होगा। इसके लिए अलग से सकुर्लर जारी किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि आभासी मुद्रा तथा अन्य तकनीकी नवाचार में वित्तीय तंत्र की दक्षता बढ़ाने की क्षमता है, लेकिन इनसे उपभोक्ता संरक्षण, बाजार की समग्रता और कालाधन सफेद करने जैसे मुद्दों को लेकर चिंता भी उत्पन्न हुई है। रिजर्व बैंक ने आभासी मुद्राओं के उपभोक्ताओं, धारकों और कारोबारियों को निरंतर इस संबंध में आगाह किया है
यह आभाषी मुद्रा है। इसकी खरीद-बिक्री आईडी-पासवर्ड के जरिये ऑनलाइन की जाती है।उल्लेखनीय है कि दुनिया भर में बिटक्वाइन और उसकी सुरक्षा को लेकर काफी चिंता है। इसका कारण यह है कि सरकार या केंद्रीय बैंक इसका नियमन नहीं करते। इससे मनी लांड्रिंग का जोखिम है। पिछले एक साल में इसके दाम में काफी तेज उतार-चढ़ाव आया है। पिछले साल नवंबर-दिसंबर में इसकी कीमत 20 हजार डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। जबकि कई देशों द्वारा सख्ती की वजह से इस साल जनवरी-फरवरी में इसके दाम घटकर सात हजार डॉलर से भी नीचे आ गए थे। रिजर्व बैंक वर्ष 2013 से ही बिटक्वाइन और अन्य आभासी मुद्राओं को लेकर चेतावनी देता रहा है। इससे कालेधन को बढ़ावा मिलने के साथ आतंकी गतिविधियों में इसके इस्तेमाल होने की आशंका है।

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