सौर मंडल का सबसे विशाल ग्रह बृहस्पति पर चलने वाली तेज हवाओं के बारे में वैज्ञानिकों को नई जानकारी मिली है। एक नए शोध के बाद खगोल विज्ञानियों ने बताया है कि बृहस्पति पर बादलों के 1800 मील नीचे जबरदस्त चक्रवात चलते रहते हैं।
शोधकर्ताओं की चार अंतरराष्ट्रीय टीमों ने बृहस्पति पर भेजे गए नासा के यान जूनो से प्राप्त आंकड़ों और तथ्यों का अध्ययन किया है। इनका कहना है कि बृहस्पति के घेरों की उत्पत्ति की वजह उसके भीतर से है। इस ग्रह पर चक्कर लगा रहे हाईड्रोजन और हीलियम गैस के विशाल गोलों के कारण यहां की हवा में परिवर्तन होता है और यही इस ग्रह के गुरुत्वाकर्षण में बदलाव का भी कारण होता है। इसी कारण ग्रह के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों में असंतुलन की स्थिति भी बनती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके सभी ध्रुवों पर कई मील चौड़े चक्रवात हैं। शोध में यह भी सामने आयी है कि यह साइक्लोन बहुभुजी तूफानों से भी घिरे हुए हैं। उत्तर में जहां इनकी संख्या आठ है, वहीं दक्षिण में यह पांच है। कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी स्थित नासा के जेट प्रोपलशन लैबोरेटरी के विशेषज्ञों ने इन तथ्यों का आकलन किया है। इनका कहना है कि बृहस्पति की सतह पर हवा विपरीत दिशा में चलती है। इस दौरान इसकी गति 100 मीटर प्रति सेकेंड रहती है। नासा के यान जूनो ने बृस्पति ग्रह की तस्वीरें 24 अक्तूबर 2017 को उस समय ली थीं, जब वह उसके 33,115 किलोमीटर करीब से गुजरा था।
Be the first to comment