केंद्र सरकार को 30-40 हजार करोड़ दे सकता है रिजर्व बैंक, जानें क्यों

राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पाने को लेकर जूझ रही सरकार को रिजर्व बैंक 30 से 40 हजार करोड़ का अंतरिम लाभांश दे सकता है। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय बैंक इसकी घोषणा एक फरवरी को बजट के पहले ही कर सकता है।
यह रकम वित्तीय वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.3 फीसदी तक रखने का लक्ष्य लेकर चल रही सरकार के लिए बड़ी राहत होगी। सरकार को यह लक्ष्य पाने के लिए करीब एक लाख करोड़ रुपये की दरकार है। सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार कुछ बड़ी कंपनियों का टैक्स रिफंड वित्तीय वर्ष के अंत तक रोक भी सकती है। मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यह रकम पिछले साल दिए गए अंतरिम लाभांश से तीन से चार गुना होगी। सूत्रों का कहना है कि अंतरिम लाभांश का फैसला आरबीआई बोर्ड करेगा। ऐसा हुआ तो यह लगातार दूसरा वर्ष होगा, जब अगस्त में सामान्य भुगतान के अलावा आरबीआई केंद्र को अंतरिम लाभांश देगा। पिछले साल अंतरिम लाभांश करीब दस हजार करोड़ रुपये का था। जबकि अगस्त में उसे 40 हजार करोड़ रुपये मिले थे। मार्च के पहले अगर सरकार को 30-40 हजार करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश मिलता है तो पूरे वित्तीय वर्ष में आरबीआई का भुगतान करीब 70 से 80 हजार करोड़ रुपये पहुंच जाएगा। यह वर्ष 2014-15 के 65 हजार 900 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड भुगतान को पार कर जाएगा।
इसके अलावा केंद्र और केंद्रीय बैंक के बीच उसके रिजर्व फंड को लेकर भी रस्साकशी चल रही है। रिजर्व बैंक का रिजर्व फंड यानी आरक्षित कोष तय करने के लिए पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है। आरक्षित कोष समेत मतभेद के तमाम मुद्दों की वजह से उर्जित पटेल ने दिसंबर में आरबीआई गवर्नर का पद छोड़ दिया था। गौरतलब है कि आरबीआई मूल रूप से बॉंड्स और करेंसी में ट्रेडिंग के जरिये राजस्व इकट्ठा करती है और इसका एक हिस्सा उसके आरक्षित कोष में और बाकी सरकार को लाभांश के तौर पर दिया जाता है। माना जा रहा है कि जीएसटी के तहत कर वसूली लक्ष्य से कम रह सकती है। साथ ही शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण सरकार विनिवेश से भी पर्याप्त रकम नहीं जुटा पाई है। ऐसे में वह घाटे की भरपाई के लिए तमाम स्रोतों को तलाश रही है। सूत्रों का कहना है कि सरकार संसद से 26 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च की भी मंजूरी लेने वाली है। इससे वित्तीय घाटे पर दबाव और बढ़ेगा।
सरकार कुछ बड़ी कंपनियों के टैक्स रिफंड में भी देरी कर सकती है, ताकि राजस्व में कमी को व्यवस्थित किया जा सके। अधिकारियों का कहना है कि इससे करीब एक लाख करोड़ रुपये की राहत सरकार को मिल सकती है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि वर्तमान में नकदी की जरूरतों को काफी कुछ पूरा कर लिया गया है और यदि अर्थव्यवस्था में नकदी की तंगी होती है तो केंद्रीय बैंक कदम उठायेगा। एमएसएमई क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद गवर्नर ने कहा कि वह मंगलवार को मुंबई में गैर बैंकिंग वित्त कंपनी के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। इस दौरान उनके क्षेत्र में व्याप्त नकदी संकट को समझने का प्रयास करेंगे। गवर्नर ने कहा कि रिजर्व बैंक ऐसी स्थिति नहीं चाहता है जहां नकदी की उपलब्धता के चलते धन (कर्ज बिल्कुल) सस्ता हो जाए। नकदी डालने का कोई भी काम पूरी सावधानी के साथ किया जाएगा और यह जरूरत के आधार पर ही होगा। रिजर्व बैंक ने हाल ही में दिसंबर और जनवरी के दौरान 60,000 करोड़ रुपये के खुले बाजार हस्तक्षेप की घोषणा की है।

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