विधानसभा चुनाव 2018: बीजेपी-कांग्रेस ने बूथ स्तर पर उतारी डिजिटल वालंटियर की फौज

 

डिजिटल क्रांति और उसके अगुआ बने सोशल मीडिया के एक-एक वोट पर प्रभावों को बखूबी समझ रहे राजनीतिक दलों ने इस बार विधानसभा चुनाव में बूथ स्तर तक डिजिटल वालंटियर की फौज उतार दी है। खास तौर पर, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सीधे मुकाबले वाली भाजपा और कांग्रेस ने राज्य ही नहीं, जिले स्तर पर भी वॉर रूम बनाए हैं। उनमें फेसबुक, व्हाट्सएप से लेकर ट्विटर पर हर दिन प्रचार सामग्री झोंकी जा रही है।
विरोधियों के आरोपों का जवाब देने के लिए फेसबुक-व्हाट्सएप पर वालंटियर ग्रुप सक्रिय हैं। कांग्रेस विशेष तौर पर मुखर है और इन राज्यों में सत्तारूढ़ भाजपा के वादों का हिसाब-किताब जनता के सामने रख रही है। जिले के वॉर रूम और वालंटियरों से स्थानीय मुद्दों और समीकरणों पर फोकस करने को कहा गया है। सोशल साइंटिस्ट भंवर मेघवंशी का कहना है कि सोशल मीडिया का सर्वाधिक प्रभाव युवाओं पर दिखता है और राजनीतिक दल जानते हैं कि युवा वोटर चुनाव में पासा पलट सकते हैं। स्मार्टफोन से लैस युवा पीढ़ी टीवी, अखबार की पारंपरिक मीडिया से इतर तमाम मुद्दों पर जानकारी के लिए सोशल मीडिया पर ही निर्भर रहते हैं।
भाजपा-कांग्रेस की आईटी सेल डिजिटल वालंटियर को सोशल मीडिया पर कंटेंट, तस्वीरों और वीडियो से जुड़ी सामग्री पोस्ट करने का रोज का लक्ष्य देती है। उन पर लाइक, ट्वीट-रीट्वीट या शेयर के आंकड़े जुटाकर उनका विश्लेषण भी करती है। राजस्थान भाजपा की आईटी सेल के सह संयोजक मयंक जैन का कहना है कि आईटी सेल बूथ लेवल के डिजिटल वालंटियर के लिए हर दिन की रणनीति तय करती है। राजस्थान कांग्रेस की आईटी सेल के प्रमुख दानिश अबरार का कहना है कि हम भाजपा के दुष्प्रचार का हर सोशल मीडिया मंच पर जवाब देते हैं। कांग्रेस ने जिला स्तर पर डिजिटल जिला कोर्डिनेटर भी बना रखे हैं। राजस्थान भाजपा की सोशल मीडिया सेल का दावा है कि उसने 15 लाख को व्हाट्सएप और 6.5 लाख को फेसबुक के जरिये जोड़ा है। सोशल मीडिया पर टिकट दावेदारों की लोकप्रियता या सक्रियता भी उम्मीदवारी का पैमाना बन गई है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने टिकट के उम्मीदवार आवेदकों से फेसबुक, ट्विटर पर फॉलोअर या लाइक एवं व्हाट्सग्रुप का आंकड़ा भी मांग रही है। एमपी कांग्रेस की आईटी सेल के प्रमुख अभय तिवारी के मुताबिक, कम से कम पांच हजार ट्विटर फॉलोअर, 15 हजार फेसबुक लाइक्स टिकट के लिए अनिवार्य है। दावेदारों का सोशल मीडिया टेस्ट भी लिया जा रहा है। वहीं, एमपी भाजपा ने 65 हजार साइबर वॉरियर की फौज चुनाव प्रचार में उतारी है, जो उम्मीदवारों के सोशल मीडिया पेज पर भी पोस्ट का जिम्मा संभाल रही है। जबकि कांग्रेस ने राजीव के सिपाही नाम से चार हजार साइबर वॉरियर उतारे हैं।

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