कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी को कई मामलों में बदलाव के लिए पार्टी के ही कुछ बड़े नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल दिसंबर में पार्टी की कमान संभालने वाले 47 वर्षीय अध्यक्ष ने साफ किया था कि वह पार्टी में सर्वोच्च निर्णय लेनी वाली संस्था, कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) के 12 पदों के लिए चुनाव कराने का इरादा रखते हैं, लेकिन दिग्गज कांग्रेस नेता राहुल के इस विचार पर नाराजगी जताते हुए दिखाई पड़ते हैं। इन नेताओं का मानना है कि इसके लिए पुरानी प्रथा यानी नामांकन व्यवस्था को ही जारी रखा जाए। कि राहुल गांधी के पूर्वज और 19 साल तक कांग्रेस अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी ने भी नामांकन व्यवस्था को बनाए रखा था और पुरानी परंपरा के अनुसार CWC सदस्यों का चुनाव किया गया। हालांकि कांग्रेस की रूल-बुक में चुनाव में कराने का प्रावधान है। रिपोर्ट की मानें तो कांग्रेस का आंतरिक संविधान कहता है कि CWC के दस सदस्य प्रतिनिधियों द्वारा चुने जाएं जबकि अन्य दस सदस्यों को पार्टी अध्यक्ष मनोनीत कर सकता है। इस पर सीनियर नेताओं का तर्क है जब साल 1992 और 1997 में इसी आधार पर चुनाव कराए गए तब कांग्रेस नेता पीवी नरसिम्हा राव और सीताराम केसरी की लीडरशिप के लिए तैयार नहीं थे। मामले में पार्टी के एक नेता ने कहा कि राहुल गांधी और उनके नेतृत्व के लिए कोई वास्तविक चुनौती नहीं है। उन्हें पार्टी की सर्वोच्च संस्था CWC में सदस्यों का चयन करने के लिए पूरी आजादी देनी चाहिए। कांग्रेस में कथित तौर पर आंतरिक विरोध के बाद नए तरीके से चुनाव होंगे या नहीं, इसकी चर्चा भी अब अगले सप्ताह मीटिंग में होने की बात कही जा रही है। CWC सदस्यों का चुनाव कराने की जगह नामांकन के पक्ष में कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने एक अभियान शुरू किया है। कि इन दिनों राहुल गांधी अपने तरीके से देश की सबसे पुरानी पार्टी को मजबूत करने में जुटे हैं। बताया जाता है राहुल गांधी पार्टी के सभी संगठनों के पद के लिए चुनाव कराने के पक्ष में हैं।
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