मंदी के बीच मोदी सरकार को एक और झटका, देश की अर्थव्यवस्था की हालत है खस्ता, IMF ने लगाई मुहर, कही ये बड़ी बात

आईएमएफ प्रवक्ता गेरी राइस ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम नए आंकड़े पेश करेंगे, लेकिन खासकर कॉरपोरेट एवं पर्यावरणीय नियामक की अनिश्चितता और कुछ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की कमजोरियों की वजह से भारत में हालिया आर्थिक वृद्धि उम्मीद से बेहद कमजोर है।

केंद्र की मोदी सरकार भले ही देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर दिखाने में जुटी हुई हो, लेकिन अर्थव्यवस्था की हालत किसी से छिपी नहीं है। भारत की अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खस्ता है इस पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी मुहर लगा दी है। गुरुवार को आईएमएफ ने भी कह दिया कि भारत की आर्थिक वृद्धि उम्मीद से काफी कमजोर है। आईएमएफ के अनुसार, कॉरपोरेट और पर्यावरणीय नियामक की अनिश्चितता और कुछ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की कमजोरियों की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत ऐसी है।

आईएमएफ प्रवक्ता गेरी राइस ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हम नए आंकड़े पेश करेंगे, लेकिन खासकर कॉरपोरेट एवं पर्यावरणीय नियामक की अनिश्चितता और कुछ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की कमजोरियों की वजह से भारत में हालिया आर्थिक वृद्धि उम्मीद से बेहद कमजोर है।”

गौरतलब है कि साल 2018-19 के पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 8.1 फीसदी थी जो इस साल (2019-20) की पहली तिमाही में गिरकर 5.8 फीसदी रह गई है। इस तरह एक साल में करीब 25 फीसदी की गिरावट जीडीपी ग्रोथ रेट में रही है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इस साल जनवरी से मार्च तक भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट पिछले पांच साल में सबसे कम 5.8 फीसदी रही। वहीं केंद्र सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग और कृषि के क्षेत्र में गिरावट के चलते आर्थिक विकास दर में गिरावट आई है।

देश में मंदी की वजह से अब तक लाखों नौकरिया जा चुकी हैं। रोजगार देने में मोदी सरकार बुरी तरह से फेल हुई है। सीएमआईई के ताजा आंकड़ों से के अनुसार, भारत की बेरोजगारी दर फरवरी 2019 में बढ़कर 7.2 प्रतिशत तक पहुंच गई। यह सितंबर 2016 के बाद की उच्‍चतम दर है, फरवरी 2018 में बेरोजगारी दर 5.9 प्रतिशत रही थी।

उधर, मंदी का असर हर सेक्टर पर पड़ा है। मंदी से खास तौर पर ऑटो सेक्टर बेहद प्रभावित हुआ है। आलम यह है कि अशोक लेलैंड और मारुति सुजुकी जैसी कैंपनियां अपने प्लांट में काम बंद करने को मजबूर हैं।

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