बिहार: चमकी बुखार से अबतक 100 बच्चों की मौत, नीतीश के पीड़ितों के पास ना पहुंचने पर उठे सवाल

मुजफ्फरपुर:बिहार में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) यानी चमकी बुखार का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, इस बुखार से मरने वालों की संख्या बढ़कर 100 पहुंच गई है. इसकी जानकारी श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल के अधिकारी सुनील कुमार साही ने दी. वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पीड़ितों के पास नहीं पहुंचने पर सवाल उठ रहे हैं. हालांकि सीएम नीतीश ने स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन और चिकित्सकों को हरसंभव कदम उठाने का निर्देश दिए हैं.

सीएम नीतीश ने किया 4-4 लाख मुआवजे का एलान

सीएम नीतीश कुमार ने प्रत्येक मृतक के परिजन को चार-चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है. सरकार की तरफ से संचालित श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल और एक ट्रस्ट द्वारा संचालित केजरीवाल अस्पताल में 90 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. बयान के मुताबिक, संदेह है कि ये बच्चे एईएस से पीड़ित थे.

एसकेएमसीएच में 69 बच्चों की जान गई जबकि 14 बच्चों की मौत केजरीवाल अस्पताल में हुई. बहरहाल, अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर बच्चे हाइपोग्लाइसेमिया से पीड़ित थे. हाइपोग्लाइसेमिया में रक्त शर्करा का स्तर बहुत कम हो जाता है और साथ इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन भी होता है.

ज्यादातर बच्चे हाइपोग्लाइसेमिया से पीड़ित

जान गंवाने वाले ज्यादातर बच्चों की उम्र दस साल से कम थी. एक जून के बाद से एसकेएमसीएच अस्पताल में 197 बच्चों को भर्ती किया गया और केजरीवाल अस्पताल में 91 बच्चों को ले जाया गया. इन बच्चों को एईएस होने का संदेह था लेकिन ज्यादातर को हाइपोग्लाइसेमिया से पीड़ित पाया गया.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने किया मुजफ्फरपुर का दौरा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन रविवार को स्थिति का जायजा लेने के लिए मुजफ्फरपुर का दौरा किया. हर्षवर्द्धन ने मेडिकल कॉलेज का जायजा लेने के बाद कहा, “मैं इस क्षेत्र के लोगों, विशेष रूप से प्रभावित परिवारों को विश्वास दिलाता हूं कि समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकार को सभी संभव आर्थिक और तकनीकी सहयोग देगी.” उन्होंने इस रोग की वजह से इस इलाके में पिछले कई सालों से हो रही बच्चों की मौत के मद्देनजर एसकेएमसीएच में बीमार बच्चों के लिए मौजूदा व्यवस्था को अपर्याप्त मानते हुए कहा कि यहां कम से कम 100 बिस्तरों वाला बच्चों का अलग से गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) बनना चाहिए.

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*