Loksabha election 2019: दिल्ली में लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गतिरोध में भाजपा का समीकरण गड़बड़ा रहा है। दोनों दलों के बीच गठबंधन होगा या नहीं यह अभी तक साफ नहीं हुआ जबकि राज्य की सातों सीट पर नॉमिनेशन की प्रक्रिया मंगलवार से शुरू हो गई। आप ने सभी सीटों पर तो कांग्रेस ने चार सीटों पर उम्मीदवारों का एलान कर दिया है। जबकि राज्य की सभी सीटों पर अपने सांसद होने के बावजूद भी भाजपा ने एक भी उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं किया है।
इस समय भाजपा की नजरें आप-कांग्रेस के अंतिम निर्णय पर टिकी है। भाजपा के एक नेता ने बताया कि ‘अगर आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन होता है तो पार्टी कुछ मौजूदा सांसदों को फिर से टिकट देगी। इसके पीछे पार्टी का मानना है कि कुछ सांसदों का जमीनी स्तर पर लोगों के साथ जुड़ाव है जिसे पार्टी फायदे के रूप में देख रही है। वहीं अगर आप-कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं होता है तो फिर पार्टी नए प्रयोग कर सकती है। पार्टी ज्यादात्तर नए चेहरों पर दांव खेल सकती है।’
एक अन्य भाजपा नेता ने कहा ‘कांग्रेस और आप के इस नाटक से मौजूदा सांसदों को नुकसान हो रहा है क्योंकि अगर एक सांसद के टिकट पर मुहर लग जाए तो वह फिर खुलकर जनता के बीच प्रचार कर सकता है लेकिन फिलहाल सांसद ऐसा नहीं कर पा रहे हैं।’ वहीं दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा है कि ‘आप और कांग्रेस एकसाथ आएंगे तो इससे हमें ही फायदा होगा क्योंकि जनता जान जाएगी कि आप ने कांग्रेस से गठबंधन के लिए भीख मांगी। एक ऐसी पार्टी से जिससे लड़कर वह सत्ता में आई।’
दिल्ली की राजनीति पर किताब लिखने वाले सिद्धार्थ मिश्रा ने कहा कि ‘चुनाव विचारधाराओं की लड़ाई होती है लेकिन जिस तरह भाजपा अपने उम्मीदवारों के नाम का एलान नहीं कर रही है उससे यह प्रतीत होता है कि वह राज्य में एंटी इनकंबेंसी का सामना कर रही है। लेकिन अगर भाजपा अपने मौजूदा उम्मीदवार का टिकट काटती है तो आप जनता के बीच यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि भाजपा सांसदों ने काम नहीं किया इसलिए उन्हें फिर से टिकट नहीं दिया गया।’
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