राफेल डील केस में मोदी सरकार ने की बड़ी गलती, सीएजी रिपोर्ट के तीन पन्ने सुप्रीम कोर्ट में सौंपे ही नहीं

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि राफेल डील केस में केंद्र सरकार ने सीएजी रिपोर्ट के शुरुआती तीन पन्ने कोर्ट में नहीं सौंपे हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार भी चाहती है कि सीएजी रिपोर्ट के पहले तीन पन्ने भी कोर्ट में ऑन रिकॉर्ड दस्तावेज के तौर पर शामिल किए जाएं।

राफेल डील मामले में मोदी सरकार से सुप्रीम कोर्ट में सीएजी की रिपोर्ट सौंपने हुई एक और गलती का खुलासा हुआ है। आज (गुरुवार) पुनर्विचार याचिका पर हो रही सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि राफेल डील केस में केंद्र सरकार ने सीएजी रिपोर्ट के शुरुआती तीन पन्ने कोर्ट में नहीं सौंपे हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार भी चाहती है कि सीएजी रिपोर्ट के पहले तीन पन्ने भी कोर्ट में ऑन रिकॉर्ड दस्तावेज के तौर पर शामिल किए जाएं। बता दें कि एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने इस मामले में एक हलफनामा जमा कर कोर्ट से कागजात लीक करनेवालों को दंड देने की गुजारिश की थी। फिलहाल कोर्ट ने उस पर फैसला सुरक्षीत रख लिया है।

कोर्ट ने कहा कि सरकार की प्रारंभिक आपत्ति पर फैसला होने के बाद ही तथ्यों पर विचार किया जाएगा। इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जरनल केके वेणुगोपाल ने कहा कि पुनर्विचार याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता गैरकानूनी रूप से प्राप्त किए गए विशेषाधिकार वाले दस्तावेजों को आधार नहीं बना सकते हैं। इसपर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि आप दस्तावेजों के विशेषाधिकार की बात कर रहे हैं। लेकिन, इसके लिए आपको सही तर्क पेश करने होंगे।

अटॉर्नी जनरल ने दाखिल किए गए एफिडेविट में कहा कि फोटो कॉपी के माध्यम से राफेल डील के दस्तावेजों को लीक किया गया। जिसपर जस्टिस जोसेफ ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि जिन दस्तावेजों के बारे में बात हो रही है। हम उनके बारे में जानते ही नहीं हैं। जस्टिस जोसेफ ने ऑटर्नी जनरल से पूछा कि उन दस्तावेजों में ऐसा क्या है जिसे हम भी नहीं देख सकते हैं। इसपर अटॉनी जनरल ने कहा कि उन दस्तावेजों को देखा जा सकता है। इस डील में साफ है कि ये सरकारों के बीच का सौदा है, इसलिए दाम बताना उचित नहीं है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस एसके कौल ने अटॉनी जनरल से कहा कि आप विशेषाधिकार की मांग कर रहे हैं। लेकिन आप दस्तावेज बदल रहे हैं। इसपर अटॉनी जनरल ने कहा कि डॉक्यूमेंट्स दूसरी पार्टी ने पेश किए हैं, हमने नहीं। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सुरक्षा से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है। इसपर जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि जिन संस्थानों में ऐसा नियम है और अगर उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं तो जानकारी देनी पड़ती है।

सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर दस्तावेज चोरी हुए थे, तो सरकार ने एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई। अपनी जरुरतों के अनुसार सरकार इन दस्तावेजों का खुलासा करती रही है। सरकार को ये कैसे पता कि कैग रिपोर्ट में क्या होगा?

इसपर प्रशांत भूषण ने कहा कि इसमें भ्रष्टाचार हुआ है, इसलिए सरकार यह चाहती है कि कोर्ट इसमें दखल न दें।

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि 2जी में भी ऐसा ही हुआ था। किसी अंजान व्यक्ति ने पूर्व सीबीआई डॉयरेक्टर रंजीत सिन्हा के घर का एंट्री रजिस्टर दिया था। भूषण ने 2जी और कोल घोटाले के संबंध में आरोपियों की बैठकों का भी जिक्र किया। हालांकि कोर्ट ने इस तर्क को मामने से इंकार कर दिया।

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