अयोध्या में विवादित जगह पर मंदिर बने या मस्जिद, अब इस विवाद का निपटारा आपसी बातचीत से करने की कोशिश की जाएगी और बातचीत की मध्यस्थता सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय पैनल करेगा। पैनल को 8 सप्ताह में अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अयोध्या मामले का विवाद बातचीत के जरिए सुलझाने का रास्ता अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद तय किया गया है कि इस मामले को मध्यस्थता के जरिए सुलझाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए एक तीन सदस्यीय पैनल बनाया है जिसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस इब्राहीम कलीफुल्लाह होंगे। पैनल में बाकी दो सदस्य आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने जो महत्वपूर्ण बातें कहीं हैं वह इस तरह हैं:
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- अयोध्या में विवादित जगह पर मंदिर बने या मस्जिद इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का रास्ता चुना
- सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए तीन सदस्यों का पैनल बनाया
- जस्टिस इब्राहिम कलीफुल्लाह इस पैनल के अध्यक्ष होंगे
- पैनल में श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल होंगे
- पैनल को बातचीत अयोध्या में अएक सप्ताह में शुरु करनी होगी
- पैनल को शुरुआती रिपोर्ट 4 सप्ताह में देनी होगी
- पैनल को पूरी रिपोर्ट 8 सप्ताह के भीतर सौंपनी होगी
- मध्यस्थता को गोपनीय रखा जाएगा और इसकी मीडिया रिपोर्टिंग नहीं होगी
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर पैनल को लगता है कि पैनल में और सदस्य होने चाहिए, तो वह इसकी मांग कर सकता है और उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले में पैनल सदस्य और फैजाबाद में सारी सुविधाएं मुहैया कराएगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि पैनल और मध्यस्थ चाहें तो इस मामले मेें जरूरत पड़ने पर कानूनी सलाह भी ले सकते हैं।
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: Supreme Court in its order also said that the reporting of the mediation proceedings in media will be banned. https://t.co/QpjYDyemmS
— ANI (@ANI) March 8, 2019
सुप्रीम कोर्ट फैसले का निर्मोही अखाड़े से जुड़े लोगों ने स्वागत किया है। वहीं, महंत राजू दास का कहना है कि क्या अयोध्या में संत नहीं थे जो मध्यस्थता के लिए श्री श्री रविशंकर को भेजा जा रहा है। साफ पता चल रहा है कि मामले को फिर से लटकाने की कोशिश हो रही है।
वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि, “हम पहले ही मध्यस्थता में सहयोग देने की बात कह चुके हैं। अब जो कुछ भी कहना होगा वह हम मध्यस्थता पैनल के सामने ही कहेंगे।
AIMPLB member & convener of Babri Masjid Action Committee Zafaryab Jilani, on SC order on Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case: We have already said that we will cooperate in the mediation. Now, whatever we have to say, we will say it to the mediation panel, not outside pic.twitter.com/sEAcBDPP7z
— ANI (@ANI) March 8, 2019
उधर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मध्यस्थता से इस मामले को कोई हल नहीं हो सका है।
KP Maurya,Dy CM on SC refers Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case for court appointed&monitored mediation:Won't question SC order. In the past,efforts made to arrive at a solution,but with no success. No LordRam devotee or saint wants delay in construction of Ram Mandir pic.twitter.com/aNUy1eqdj1
— ANI UP (@ANINewsUP) March 8, 2019
जामा मस्जिद की ओर से पक्षकार हाजी महमूद ने सुप्रीम कोर्ट के फैसल पर कहा है कि अच्छी बात है मसले का जल्दी हल हो बेहतर है। इस मसले को जल्द से जल्द हल कर लिया जाए तो बेहतर होगा। इसके अतिरिक्त नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही अंतिम फैसला है।
गौरतलब है कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद मध्यस्थता के लिए नाम सुझाने को कहा था। सुनवाई के दौरान जस्टिस बोबडे ने कहा है कि इस मामले में मध्यस्थता के लिए एक पैनल का गठन होना चाहिए।
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